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कूदनेको तत्पर

हैं, लेकिन मैं व्यक्तिगत सेवा और प्रेम नहीं चाहता, मैं राष्ट्रके प्रति सेवा और प्रेम चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ——दृढ़ कर्त्तव्यपरायणता तथा उन सभी दायित्वोंकी पूर्ति जो उनके लिए निश्चित किये गये हैं और जिन्हें उन्होंने स्वीकार किया है।

मानपत्रमें शराबके व्यापारमें वृद्धिका जिक्र किया गया है। यह एक गम्भीर विषय है। इसका उपाय वे कार्यकर्ता ही कर सकते हैं जो कि विशेष तौरसे हुए इस सुधारके काममें लगें। लेकिन मुझे लगता है कि शराबका व्यापार ऐसी बुराइयोंमें से है जिन्हें केवल मद्यनिषेध द्वारा ही सफलतापूर्वक काबूमें लाया जा सकता है।

अन्तिम टीका हमारी सामान्य स्थितिकी द्योतक है।

हमारी बढ़ती हुई गरीबी कुटीर उद्योगोंके पुनरुज्जीवनसे नहीं, बल्कि उस एक कुटीर उद्योगके ही पुनरुज्जीवनसे दूर होगी। जब हम एक बार उस कुटीर उद्योगको पुनरुज्जीवितकर लेंगे तो अन्य सब बादमें पुनरुज्जीवित हो जायेंगे। उनसे देशको समृद्धि बढ़ेगी। लेकिन केवल चरखा ही अकेला भुखमरीकी सामान्य समस्याको सुलझा सकता है।निस्सन्देह प्रत्येक जिलेकी भिन्न-भिन्न आवश्यकताएँ है। उनकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। लेकिन मैं चरखेको ऐसी नींव बनाना चाहता हूँ जिसपर स्वस्थ ग्रामीण जीवनकी रचनाकी जा सके। मैं चरखेको ऐसा केन्द्र बनाना चाहता हूँ जिसपर अन्य सभी क्रियाएँ आधारित हों। कोई भी सूत कातनेवाला ग्राम्य जीवनमें तबतक भाग नहीं ले सकता जबतक कि वह ग्रामीणोंकी अन्य समस्याओंके, जिनसे वे अस्त हैं, सम्पर्कमें नहीं आता तथा उनको हल करने में हाथ नहीं बँटाता। लेकिन यदि कोई कार्यकर्त्ता गाँवमें काम करने जायेगा तथा किसी भी कार्यको, जो सुगमतासे मिले, हाथमें ले लेगा तथा चरखेको नहीं अपनायेगा तो वह केन्द्र-बिन्दुसे भटक जायेगा और इसलिए एक-एक ग्रामीणतक पहुँचनेके बजाय अन्धकारमें मार्ग ढूँढ़ता फिरेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-५-१९२५

७३. कूदनेको तत्पर

एक पत्र-लेखक कुछ प्रश्न पूछने के बाद, अन्तमें लिखते हैं :

मैं आशा करता हूँ कि आप इन विषयोंपर प्रकाश डालनेको कृपा करेंगे और जबतक मैं अनर्गल बातें न करने लगू तबतक मेरे साथ चर्चा जारी रखगे। मैं आपका अनुयायी हूँ, आपके नेतृत्व और पथ-प्रदर्शनमें जेल जा चुका हूँ। जब मैं आपके बहुत नजदीक था और आपसे मिलनेका बहुत मौका था तब भी मैंने आपसे कोई बातचीत नहीं की; क्योंकि मैं आपका समय लेना नहीं चाहता था। मैंने आपका चरण-स्पर्शतक नहीं किया। पर अब आपकी युक्तियों और राजनैतिक विचारोंपर से मेरा विश्वास हिल गया है। मैं क्रान्तिवादी नहीं हूँ; अलबत्ता उस धारमें लगभग कूदने ही वाला हूँ। यदि आप इन प्रश्नोंका जवाब सन्तोषजनक रूपसे देंगे तो आप मुझे बचा लेंगे।