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भाषण : दीनाजपुरकी सार्वजनिक सभामें

प्रान्तीय महिला परिषद् ऐसे मामले, जो उसकी निगाहमें आयें, दर्ज करने तथा निगमको अथवा सम्बन्धित मालिकोंको सूचित करनेके लिए स्वयंसेवक नियुक्त कर सकती है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-५-१९२५

७५. भाषण : दीनाजपुरके अस्पृश्योंके समक्ष[१]

२१ मई, १९२५

गांधीजीने कहा...मुझे सिर्फ इतना ही कहना है कि आप अधीर न हों और आप यह सोचकर सन्तोष करें कि आपको दशा अन्यत्र रहनेवाले आपके भाइयोंसे कहीं अच्छी है। अगर आप चाहें तो नगरपालिकाको नोटिस दे दें कि अगर आपको माँगे स्वीकार नहीं की जाती तो आप सफाईका काम भगवानके भरोसे छोड़कर यहाँसे चले जायगे। लेकिन साथ ही आप यह बात भी ध्यानमें रखें कि आप नगरपालिकाके बुलानेपर नहीं, बल्कि अपनी इच्छासे यहाँ आकर बसे थे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ४-६-१९२५

७६. भाषण : दीनाजपुरको सार्वजनिक सभामें

२१, मई, १९२५

अभिनन्दन-पत्रोंका उत्तर देते हुए गांधीजीने मधुर बंगला[२], हिन्दी, और संस्कृत भाषाओंमें अभिनन्दन-पत्र पानेपर हार्दिक सन्तोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस सौजन्यके कारण मैं जिलाबोर्ड द्वारा अंग्रेजीमें अभिनन्दन-पत्र दिये जानेकी बात माफ करनेको तैयार हूँ। इसके बाद उन्होंने एकत्रित जन-समुदायके अनुशासनपूर्ण व्यवहार और उनकी इच्छानुसार जो लोगोंने शान्ति बनाये रखी, उसकी सराहना की। उन्होंने सूत कातनेवालोंकी भी तारीफ की। उन्होंने कहा :

अपने बंगालके दौरोंमें दीनाजपुरके सूत कातनेवालोंको देखकर मुझे सबसे ज्यादा खुशी हुई है और उन्हें काम करते देखकर मोहित हुआ हूँ। यह भी एक बड़ा शुभ लक्षण है कि वकील, डाक्टर और समाजके अन्य प्रतिष्ठित लोग संथालों, मेहतरों और अबतक नीची निगाहसे देखे जानवाले अन्य लोगोंके साथ बैठकर सूत कातते हैं।

२७-१०
  1. महादेव देसाईके यात्रा-विवरणसे उद्धत।
  2. स्थानीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष जोगेन्द्र चन्द्र चक्रवर्तनि एक अभिनन्दन-पत्र बंगलामें पढ़ा; इसके बाद तीन और अभिनन्दन-पत्र संस्कृत, हिन्दी, तथा अंग्रेजीमें पढ़े गये।