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भेंट : दीनाजपुरके जमींदारसे

डूब जाता। आगे बढ़ रही उस सेनाको पीछे हटनेका हुक्म देनेके लिए अतीव साहसको जरूरत थी; और मुझे यह बात कहते हुए गर्व होता है कि उस समय मुझमें अनुकूल साहसकी कमी नहीं पाई गई। वाइसरायको मेरी अन्तिम चेतावनी कोई बड़ी चीज नहीं थी, एक बच्चा भी उसपर हस्ताक्षर कर सकता था, लेकिन बारडोली प्रस्तावके लिए सचमुच ही बहादुरों-जैसे साहसकी जरूरत थी। ऐसा लग सकता है कि मैं आत्मप्रशस्ति कर रहा हूँ, लेकिन मैं जैसा महसूस करता हूँ, मुझे चाहिए कि वैसा ही मैं आपको ईमानदारीसे साफ-साफ बता दूँ।

जैसा कि सर जॉर्ज लायडने[१] स्वयं स्वीकार किया है, आपका कार्यक्रम लगभग सफल हो जानेवाला था। सभी यूरोपीय उस समय बुरी तरह भयभीत थे।

वे भयभीत इसलिए थे कि वे समझे थे कि सविनय अवज्ञाके बजाय उद्धत अवज्ञा होगी। आप तो जानते ही है कि मेरे पास सविनय अवज्ञाका जो शस्त्र है, वह उन्हें जो शस्त्र अवगत हैं उनसे सर्वथा भिन्न है। उनके पास मेरी शक्ति मापने का कोई उपाय नहीं था और इसलिए मेरी कार्यवाहियोंसे निपटने में वे सर्वथा असहाय

तब फिर रुकने की पुकार लगाना क्या भूल नहीं थी, खासकर जब कि आपको योजना इतनी सफलतापूर्वक चल रही थी?

नहीं, भाइयो, देश तैयार नहीं था, जैसा कि चौरी-चौरा काण्डने दिखा दिया। दोष हमारे अपने ही कार्यकर्ताओंमें था। उद्वेग और पूर्वग्रहोंपर उनका काबू नहीं था, और यदि स्वराज्य स्थापित भी हो जाता तो हमारे आपसके झगड़ों और मतभेदोंके कारण वह एक क्षण भी कायम न रह पाता।

चरखेके सामान्य आर्थिक और राजनीतिक महत्त्वपर जोर देते हुए उन्होंने आगे कहाः

हमारे कार्यकर्ताओंमें सचाईसे, लगनसे कार्य करनेकी कहाँतक क्षमता है, इसकी भी परीक्षा चरखा है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस समय केवल चरखा ही भारतकी मुक्तिका द्वार खोलनेवाली कुंजी है।

किन्तु महात्माजी! इसमें सन्देह है कि बहुमत राष्ट्रीय स्वतन्त्रताको प्राप्तिके लिए चरखेकी सामर्थ्य और उपयोगिताको मानने में आपके साथ नहीं है।

मैं इसकी चिन्ता नहीं करता। यदि इस सवालपर मैं अकेला भी होऊँ और सारा भारत मेरे खिलाफ खड़ा हो, तब भी मैं सीना तानकर खड़ा रहूँगा। जो लोग मुझसे भिन्न राय रखते हैं, वे अपने मतानुसार देशकी सेवा कर सकते हैं, लेकिन मैं जितना सम्भव है उतने जोरसे यही बात कहूँगा कि चरखा हमें स्वराज्य दिलायेगा। यह सब आपको कोरी अतिशयोक्ति लग सकता है, लेकिन यह अतिशयोक्ति नहीं है। मेरे लेखे यह एक आम व्यावहारिक बुद्धिकी बात। जिस तरह एक संगीतज्ञ विश्वासके साथ कह सकता है कि उसके एक विशेष तार छेड़नपर एक निश्चित स्वर निकलेगा, उसी तरह मेरा विश्वास इस समस्याके हलके सम्बन्धमें है।

  1. बम्बईके गवर्नर।