८४. टिप्पणियाँ
बहिष्कार हो तो?
एक भाई लिखते हैं:[१]
इसका जबाव मैं तो एक ही दे सकता हूँ। पंच कितना ही जुल्म करें, फिर भी उन्हें अदालतमें न ले जाया जाये। वे जैसी सजा देना चाहें वैसी दें। उस सजाको भोग लेनेसे पंचोंका गुस्सा ठंडा हो जाता है और वे स्वयं पश्चात्ताप करते हैं। फिर, जहाँ पंच अन्याय करते हैं, वहाँ तो बहिष्कार स्वागत योग्य माना जाना चाहिए। जिस जातिमें कन्या-विक्रयका अत्याचार होता हो, जिस जातिमें ढोंग हो, जिसके पंच सदस्य मासाहार और मद्यपानको तरह देते हों, उस जातिमें रहनेसे फायदा हो ही नहीं सकता। जाति तो रूढ़ि है, धर्म नहीं। जातिमें रहकर मनुष्य कुछ सहूलियत पाता है। लेकिन जहाँ जाति नीति-भ्रष्ट हो जाये, वहाँ इन सहूलियतोंको मंजूर न करना ही अच्छा है। हमने जिस नीतिका आश्रय लेकर सरकारसे असहयोग किया, उसी नीतिको जातिपर लागू करके उससे भी असहयोग किया जा सकता है। लेकिन यहाँ तो असहकारका सवाल ही नहीं उठता। यहाँ तो स्वयं जाति हमारा बहिष्कार करती है। हमें इसे एक अच्छा मौका मानकर इसका स्वागत करना चाहिए। लेकिन इसे अच्छा मौका वही मान सकता है, जिसने अपना धर्म पाला हो, जातिकी सेवाकी हो और जातिकी नीति-वर्धक आज्ञाओंको हमेशा खुशीसे माना हो। संयमी ही बहिष्कारका स्वागत कर सकता है। असंयमीको तो बहिष्कार दुःखदायी लगेगा। लेकिन अस्पृश्यता निवारण असंयमीका नहीं, संयमीका काम है। अस्पृश्यतानिवारण भोगोंकी वृद्धिके लिए नहीं, बल्कि सेवाके अवसर अधिक प्राप्त करनेके लिए है, सेवासे किसीको बहिष्कृत न करनेके लिए है।
देशी राज्य
एक सज्जन यह सवाल[२] करते हैं। लेखककी बातमें बहुत-कुछ सत्यांश है। पर इस सवालका एक दूसरा पहलू भी है। जिस प्रजामें सत्व होता है उसका राजा अन्यायी नहीं हो सकता। यदि प्रजामें सत्व नहीं है तो शासनतन्त्र चलानेवाला चाहे राजा हो और चाहे लोक प्रतिनिधिमण्डल हो, दोनों समान हैं। जो सताका उपयोग करना नहीं जानता वह उस सत्ताको कायम कैसे रख सकता है? इसीलिए मैंने कहा
- ↑ यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें लेखकने लिखा था, "आजकल कोई-कोई जाति अस्पृश्यता न माननेवालोंको, भले वे कितने ही अच्छे गुणोंवाले हों, जातिसे निकाल देती है, पर शास्त्रोंने जिसे बड़ा भारी पाप माना है उसके बारेमें पंच कुछ नहीं करते। ऐसे जालिम पंचोंको अदालतमें ले जाया जाये या नहीं?"
- ↑ यहाँ नहीं दिया गया है। लेखकने पूछा था कि राजा आज अच्छा और कल बुरा भी हो सकता है, तब क्या राज्य कायम रखने चाहिए?