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राष्ट्रीय सेवा और वेतन

है और काम भी अच्छा देता है। फिर है भी सस्ता——ढाई रुपयेमें मिलता है। मैंने इस तरहका और इससे सस्ता चरखा सारे हिन्दुस्तानमें नहीं देखा। मैं चाहता हूँ कि बंगालमें प्रतिष्ठानके नमूनेके चरखेका प्रचार हो। इस बातकी भी जरूरत है कि 'चरखा-शास्त्री' ऐसे तमाम मुकामोंपर जायें जहाँ चरखे चलते हों, चरखोंकी मरम्मत करें और जहाँ मरम्मतसे काम न चलता हो वहाँ उन चरखोंको नष्ट कर दें। वे अपने बताये हुए चरखेकी श्रेष्ठता भी समझायें। इस कामको वही आदमी कर सकता है जो अपना समय अन्य तमाम बातोंको छोड़कर अकेले खादीके काममें लगाता हो। ऐसी संस्था है खादी-प्रतिष्ठान और ऐसे चरखा-शास्त्री है सतीश- बाबू, जिन्होंने चरखके लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया है। दूसरा विघ्न है शुद्ध खादीके साथ मिलावटकी खादीका अनुचित मुकाबला। यदि कांग्रेसवालोंके नजदीक कांग्रेसके प्रस्तावोंकी कुछ भी कद्र हो तो वे मिलावटवाली खादीसे अपना सम्बन्ध किसी तरह नहीं रख सकते। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि जिन कांग्रेसकी संस्थाओंमें जुले सूतकी खादी बन रही है या बरती जा रही है, वे ऐसा करनेसे बाज आयेंगी। मिलावटकी या आधी खादी आम तौरपर वह होती है जिसका ताना मिलके सूतका होता है। और तानेके ही द्वारा तो सूतकी परख की जा सकती है। यदि हम तानेमें मिलका सूत लगाते रहे तो हम हाथके कते सूतकी किस्ममें कभी सुधार नहीं कर सकते और इसलिए हम एक घरेलू धन्धेके तौरपर हाथकताईको जड़ हरगिज नहीं जमा सकते और न विदेशी कपड़ेका बहिष्कार ही सफल बना सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २८-५-१९२५
 

९१. राष्ट्रीय सेवा और वेतन

एक पत्रलेखक लिखता है।[१] यह स्पष्ट है कि वह 'यंग इंडिया' लगातार नहीं पढ़ता; यदि पढ़ता तो उसने इस बारेमें मेरा विचार देख ही लिया होता। मैंने बार-बार दुहराया है कि मैं वेतन लेकर राष्ट्रकी सेवा करने में सम्मान समझूगा। मेरे सफर सम्बन्धी खर्च तथा इस प्रकारके अन्य खर्चकी बात दूसरी है। मंजूरी कराये बिना मैं उसे कांग्रेससे प्राप्त नहीं कर सकता। मैं कांग्रेसके प्रस्तावके अनुसार अथवा उसके निर्देशसे यात्रा नहीं करता। मैं भिन्न-भिन्न प्रदेशोंसे निमन्त्रण मिलनेपर दौरा करता हूँ। अगर मैं उस खर्चको कांग्रेससे वसूल करूँ अथवा उसपर कांग्रेसकी मंजूरी माँग तो यह मेरे लिए बिलकुल अनुचित होगा। पत्रलेखकको यह मालूम नहीं है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके सदस्य भी, जब वे कांग्रेसके बुलाने पर इकट्ठे होते हैं, उससे कोई खर्च नहीं लेते। यदि कांग्रेससे ऐसा खर्च लिया जाये तो उसका कोष शीघ्र ही समाप्त हो जाये। किन्तु यदि जिस प्रकार उसकी परिभाषा की गई

  1. यहाँ उद्धृत नहीं किया गया है।