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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

डा॰ वरदराजुलु नायडूकी अपीलका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि डा॰ नायडूने आपसे स्वराज्य दलमें शामिल होने और मदद करनेको कहा है। मेरे लिए इस अपीलका इतना ही अर्थ है कि आपको स्वराज्यके लिए कुछ करना चाहिए। मैं इस अपीलका केवल यही अर्थ निकाल सका हूँ। सभामें उपस्थित नवयुवक कौंसिलोंमें प्रवेश कैसे कर सकते हैं? दासगुप्त जैसे कुछेक लोगोंके साथ चित्तरंजन कौंसिलमें जा सकते हैं, और वे गये भी है। लेकिन सभामें उपस्थित सभी लोग तो कौंसिलोंमें जानेकी आशा नहीं कर सकते। एक बार चित्तरंजन बाबूने फरीदपुरमें आप लोगोंसे गांवोंमें जाने और जनताके साथ मिलकर काम करनेको कहा था। मैं देशबन्धुके शब्दोंके रहस्यको इस तरह कह सकता हूँ कि स्वराज्य दलमें शामिल हो जान-भरसे कोई वास्तविक काम नहीं हो सकता। यदि आप जनताकी हालत बेहतर बनाना चाहते हैं तो आपको जनताके पास जाना होगा, उसके साथ रहना होगा। लोगोंको दानके रूपमें एक मुट्ठी चावल देनसे उनके दिलोंमें सच्चे जीवनका संचार नहीं होगा।

पूर्वी बंगालमें बहुतेरे ग्रामीणोंने मुझे बताया है कि सालमें छः महीने उन्हें बेकार बैठे रहना पड़ता है, क्योंकि उनके पास करनेके लिए कुछ काम ही नहीं होता। वे चाहते हैं कि उनके बीच चरखेका प्रचलन शुरू हो। वे यह नहीं जानते कि चरखा और कपास उन्हें कहाँसे मिल सकती है। इसलिए आपको उन ग्रामीणोंके पास चरखका सन्देश लेकर जाना होगा और उन्हें चरखा चलानका प्रशिक्षण देना होगा। अपने गरीब भाइयों और बहनोंके काते हुए सूतसे बना खद्दर आपको अवश्य खरीदना चाहिए।

महात्माजीने आगे कहा कि आप कहीं भी जायें, कलकत्ता या दिल्ली अथवा किसी भी अन्य शहरमें हों, आपको हमेशा गरीब किसानोंकी बात ध्यानमें रखनी चाहिए, आपका दिल हमेशा उनके साथ रहना चाहिए। उनके प्रति यह कृतज्ञता ज्ञापन करना नैतिक रूपसे वाजिब है, यह आपको करते रहना चाहिए। आप जो-कुछ भी खाते हैं, उसे ये गरीब किसान पैदा करते हैं; शहरोंमें जिन-जिन सुविधाकी चीजोंका आनन्द आप उठाते हैं, वे सब आपके इन भूखसे पीड़ित भाई-बहनोंके श्रमका फल है। आप लोग डेस्कपर बैठकर लेख और भाषण लिखनेवाले नेता हैं। लेकिन अगर आप जनताके लिए कुछ करना चाहते हैं तो आपको खद्दर अवश्य पहनना चाहिए और सूत कातना चाहिए। मुझे एक बहन ने बताया कि जब वह पूर्वी बंगालमें घूमी तब उसने लोगोंको खद्दर पहने देखा, लेकिन जब वह शहरोंमें आई तो उसे अपनी बहनोंको विदेशी वस्त्र पहने देखकर निराशा हुई। इससे ज्यादा दर्दनाक तथ्य और क्या हो सकता है।

चम्पारनमें अपने कामके दौरान एक घटनाका जिक्र करते हुए महात्माजीने कहा कि ट्रेनमें मेरी पत्नीसे एक औरत मिली जिसके पास एक ही खद्दरका कपड़ा था।