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११०. टिप्पणियाँ

निराधार अभियोग

मैंने शिकायत सुनी है कि बंगालमें कांग्रेसजनोंने अर्थात् स्वराज्यवादियोंने चरखेकी हत्या ही कर डाली है। किन्तु उनपर यह आरोप निराधार है। एक तो चरखा बंगालमें मरा ही नहीं है, दूसरे चरखेकी प्रवृत्तिमें यदि कुछ रुकावट आई भी है तो स्वराज्यवादी उसके लिए उतने ही जिम्मेदार हैं, जितने किसी दूसरे दलके लोग। मैं तो उलटा यह कुबूल करता हूँ कि कताई-प्रदर्शनोंको सफल बनानेमें हर जगह स्वराज्यवादियोंने सहयोग दिया है। उन्होंने उनकी व्यवस्था करनेमें तथा सूत कातनेमें योग दिया है। कुछ स्वराज्यवादी तो अपने सारे परिवार-सहित उनमें उत्साहसे भाग लेते हैं। मैं अपने फरीदपुरके मेजबान विश्वास बाबूके सम्बन्धमें पहले ही लिख चुका हूँ। उनकी धर्मपत्नी और बच्चे सब चरखेके प्रेमी हैं। वे अपने परिवारके उपयोगके निमित्त आवश्यक खादी बनानेके लिए सूत कातते हैं। श्री वसन्तकुमार मजूमदारकी धर्मपत्नी भी सूत कातनेमें बहुत उत्साह दिखाती है। उन्होंने कोमिल्लामें एक भारी प्रदर्शनकी व्यवस्था की थी। दीनाजपुरके जोगेनबाबू खुद नियमित रूपसे सूत कातते हैं। उनके परिवारको सफाईके साथ सूत कातते हुए देखकर एक विशेष प्रकारके आनन्दका अनुभव होता था। वास्तवमें दीनाजपुरका कताई-प्रदर्शन सर्वोत्तम था। मैं और भी ऐसी मिसालें दे सकता हूँ। हाँ, यह बात सच है कि चरखेमें स्वराज्यवादियोंकी श्रद्धा उतनी नहीं है जितनी, उदाहरणाथ, मेरी है। और यह बात उन्होंने छिपाई भी नहीं है। यदि रचनात्मक कार्यक्रमपर उनका पूरा और पक्का विश्वास होता तो वे कौंसिलोंमें जाते ही नहीं। उनकी स्थिति बेहद सीधी-सादी है। उनका रचनात्मक कार्यक्रममें और चरखेमें विश्वास है। उनका विश्वास यह भी है कि उसके बिना स्वराज्य नहीं मिल सकता। पर साथ ही वे यह भी मानते हैं कि कौंसिलों तथा उन दूसरी तमाम प्रातिनिधिक और अर्ध-प्रातिनिधिक संस्थाओंपर भी कब्जा कर लेना चाहिए, जिनके द्वारा सरकारपर दबाव डाला जा सकता है। उन्होंने यह रुख सचाईसे ग्रहण किया है। और इसके बारेमें कोई आपत्ति नहीं की जा सकती। कमसे-कम मेरी राय मैं तो बंगालके स्वराज्यवादी अपने विश्वासके अनुसार काम कर रहे हैं।

नीति-भ्रष्टता

स्वराज्यवादियोंपर नीति-भ्रष्टताका आरोप भी लगाया जाता है। उनके कार्योंकी चर्चा करते हुए यहाँ उसपर भी विचार कर लेना ठीक होगा। कुछ प्रसिद्ध समाज-सेवकोंने आकर मुझसे कहा, सावधान रहें; आप कहीं स्वराज्यवादियोंके हाथकी कठपुतली न बन जायें। उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं बंगालके राजनैतिक जीवनको निर्मल बनानेमें अपने प्रभावका उपयोग करूँ। मैंने उनसे कहा कि मुझे इन आरोपोंपर विश्वास करनेका कोई कारण नहीं दिखाई देता। परन्तु यदि आप नाम-धाम और सबूत