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११२. एनी बेसेंटको लिखे पत्रका मसविदा[१]

४ जून, १९२५

प्रिय डा॰ बेसेंट,

आपके कृपापत्र मिले। आपका ज्ञापन[२] मैंने श्री गांधीको दिखा दिया है। वे यहाँ कल शाम आये थे। हम दोनों ही इस निष्कर्षपर पहुँचे हैं कि आपके घोषणापत्रका मसविदा कुछ आवश्यक संशोधनोंके बाद हम दोनों ही व्यक्तिगत रूपसे स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन श्री शास्त्री, श्री जिन्ना या पण्डित मालवीयजी इसे स्वीकार करेंगे, ऐसी कोई उम्मीद नहीं है और उन अन्य लोगोंकी स्थिति तो स्पष्ट ही है, जिन्होंने अपने-आपको सविनय अवज्ञाका कट्टर विरोधी घोषित कर दिया है। हम समझते हैं कि जबतक सभी दलोंमें हमारी माँगोंकी ठीक-ठीक शर्तों और माँगोंके ठुकराये जाने पर काममें लाये जानेवाले उपायोंके बारेमें स्पष्ट मतैक्य नहीं हो जाता, तबतक राष्ट्रीय माँगके रूपमें कुछ भी प्रस्तुत करना व्यर्थ होगा। हमारे रास्तेमें दूसरी कठिनाई यह है कि हिन्दुओं, मुसलमानों और ब्राह्मणों तथा अब्राह्मणोंमें कोई स्पष्ट मतैक्य नहीं है। इसलिए हमारा खयाल है कि अभी फिलहाल हमें अपना ध्यान व्यक्तिगत तौरपर ऐसे लोगोंको अपनी रायका बनानेमें लगाना चाहिए जिनकी बातको राष्ट्रीय मामलोंमें महत्त्व दिया जाता है। मैं अपनी योग्यताके अनुसार इसीका प्रयत्न कर रहा हूँ।

चूँकि मैं इतना सब तार द्वारा नहीं बता सकता था, इसलिए मैंने आपको तार द्वारा कोई निश्चित जवाब नहीं भेजा। कोई आशाप्रद जवाब न भेज सकनेका मुझे खेद है।

आपका,

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ १०६७४) की फोटो-नकलसे।

 
  1. गांधीजीने चित्तरंजन दासकी तरफसे इसका मसविदा तैयार किया था और दासने हस्ताक्षर करके ५ जूनको इसे भेज दिया था। महादेव देसाईने लिखा है कि चित्तरंजन दासने अपनी पत्नीसे कहा, "यह जवाब तैयार करनेमें मुझे तीन दिन लग जाते, पर गांधीजीने इसे १५ मिनटमें तैयार कर दिया।"
  2. 'कामनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल' से सम्बन्धित ज्ञापन, जिसका मसविदा डा॰ बेसेंटने तैयार किया था।