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११३. पत्र : निशीथनाथ कुंडूको

[दार्जिलिंग][१]
६ जून, १९२५

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं अब उस विषयपर देशबन्धुसे बातचीत करनेकी कोशिश कर रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

निशीथनाथ कुंडू
जिला कांग्रेस कमेटी
दीनाजपुर

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ८०२०) की फोटो-नकलसे।

 

११४. पत्र : नारणदास गांधीको

ज्येष्ठ सुदी ९ [६ जून, १९२५]

चि॰ नारणदास,

तुम्हारी ओरसे कोई खबर नहीं मिली। मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे अपना खादीके कार्यका विवरण हर मास भेजो। पाक्षिक भेजो तो और भी अच्छा।

ऐसा लगता है कि तुम भाई...के सम्बन्धमें कोई जाँच नहीं कर सके हो। अब तुरन्त करना। उसपर हिसाबमें गड़बड़ी करनेका आरोप है और व्यभिचारका आरोप भी है। व्यभिचारके सम्बन्धमें तो तुम क्या जाँच करोगे? इस विषयमें इतना ही कहूँगा कि तुम जब...जाओ तो अपनी आँखें खुली रखकर जाओ। हिसाबकी जाँच सावधानीसे करना, जिससे यदि वह प्रामाणिक हो तो मैं निर्भय होकर वैसा कह सकूँ।

तुम जानते ही हो कि मैं उनपर लगाये गये आरोपोंकी चर्चा 'नवजीवन' में कर चुका हूँ।

  1. डाककी मुहरसे।