पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/२६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१३१. भाषण : भोजेश्वरकी सार्वजनिक सभामें

१२ जून, १९२५

महात्माजी हिन्दीमें[१] बोले और बादशाह मियाँने उसका बंगलामें अनुवाद किया। भेंट किये गये अभिनन्दन-पत्रके[२] लिए धन्यवाद देनेके बाद महात्माजीने कहा कि आपने मुझसे कांग्रेस सम्बन्धमें बोलनेको कहा है। मैं तदनुसार आपसे यह कहता हूँ कि यदि आप हिन्दुस्तानमें स्वराज्य चाहते हैं तो आपको तीन बातें करनी होंगी। प्रत्येक व्यक्तिको, चाहे वह राजा हो या किसान, अमीर या गरीब, हिन्दू या मुसलमान, आदमी या औरत, प्रतिदिन कमसे कम आधा घंटा सूत कातना होगा। सभीको हिन्दू-मुस्लिम एकता कायम करने और अस्पृश्यता निवारणके लिए प्रयत्न करना होगा।

आप लोग इस बातपर जोर देते हैं कि भारतके अन्य हिस्सोंकी जैसी अस्पृश्यता बंगालमें नहीं है; मगर मुझे इसपर विश्वास नहीं होता। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म यह कभी नहीं सिखाता कि आपको नामशूद्रों, नाइयों और धोबियोंका छुआ पानी नहीं पीना चाहिए।

इसके बाद महात्माजीने उन्हें सभी बुरी आदतें छोड़ने की सलाह दी। उन्होंने शराब न पीने और वेश्याओंके यहाँ न जानेको कहा।

कांग्रेसके कार्यका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग कांग्रेसको मरी हुई समझते हैं, उनका खयाल गलत है। कांग्रेस मरी नहीं है। उसके कार्यकर्ता मृतप्राय हो गये हैं। अबतक लोग समझते थे कि कांग्रेसके कामका मतलब है——भाषण देना और जोश-खरोश पैदा करना। लेकिन यह तो इस महान् राष्ट्रीय संगठनका सच्चा काम नहीं है। कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंका कर्त्तव्य जनताकी सेवा करना है। इसी मूक और आडम्बरहीन सेवा-भावनाकी कमीके कारण कांग्रेस पिछड़ गई है। उन्होंने कहा कि जबतक कांग्रेसमें पाँच सच्चे कार्यकर्त्ता भी मौजूद रहेंगे तबतक वह मर नहीं सकती। जबतक भारतका एक भी व्यक्ति विदेशी वस्त्र पहनता है तबतक कांग्रेसके पास करनेके लिए कामकी कोई कमी नहीं है।

कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंके कर्त्तव्योंका उल्लेख करते हुए महात्माजीने कहा कि हजारों भारतीय भूखों रह रहे हैं। आप उन्हें चरखा दीजिए। ऐसा करके आप अपने भाइयोंको बचानेमें समर्थ हो सकेंगे[३]

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १६-६-१९२५
  1. मूल हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।
  2. यह अभिनन्दन-पत्र दक्षिणपाड़ाके लोगोंकी ओरसे भेंट किया गया था।
  3. गांधीजीको यहाँ एक हजार रुपयेकी थैली भेंट की गई थी।