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भाषण : मदारीपुरकी सार्वजनिक सभामें

कृपया बासन्ती देवीसे अपने हिस्सेके सूतकी पहली किस्त भेजनेको कहिए। मैं चाहता हूँ कि ३० दिनका जमा सुत १०० गजकी लच्छियोंमें सफाईसे अच्छी तरह लिपटा हो। कलकत्ताके मेयरकी पत्नीकी ओरसे प्रथम श्रेणीके सूतसे जरा भी कम दर्जेका सूत स्वीकार नहीं किया जायेगा।

आप सबको सस्नेह।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य : नारायण देसाई

 

१३३. भाषण : मदारीपुरकी सार्वजनिक सभामें[१]

१३ जून, १९२५

पतित बहनोंके साथ यह सम्पर्क विशेषकर नौजवानोंके लिए खतरनाक है। आपको केवल इतना ही करनेकी जरूरत है कि स्त्रियोंको यह काम सौंप दीजिये और दूरसे उनका मार्गदर्शन करते रहिए। स्वयंसेवकोंने अपने अभिनन्दन-पत्रमें मुझसे पूछा है कि हम अपना काम आगे कैसे बढ़ा सकते हैं। आप सभीने अहिंसाका व्रत धारण किया है और चूँकि अहिंसा प्रेम है, मैं बता सकता हूँ कि प्रेमके अस्त्रको धारण करके आप अपनी सारी शक्ति कहाँ लगायें। आप उन आदमियोंको जो अपने-आपको और उन औरतोंको बिगाड़ते हैं, समझाइए और उनकी आँखें खोलिए। उन्हें यह बताकर कि उनका अपराध कितना पाशविक और कुत्सित है, उनको बुराईके रास्तेसे हटाइए। पतित बहनोंके पुनरुद्धार के लिए एक महिला स्वयंसेविका संघ बनाया जाना चाहिए, और इस संघके जरिये ही पतित बहनोंके बीच काम करना चाहिए। आपने अपने अभिनन्दन पत्रमें कहा है कि सरकारने मदारीपुरको सभी क्रान्तिकारी केन्द्रोंमें एक मुख्य केन्द्र करार दिया है। इस बुराईको दूर करनेके लिए भारतकी महिलाओंमें सचमुच एक क्रान्ति लानेकी ही जरूरत है। ईश्वर करे इस क्रान्तिकी आधारशिला रखनेका श्रेय मदारीपुरको ही मिले।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-६-१९२५
 
  1. महादेव देसाई यात्रा-विवरणसे उद्धृत। गांधीजीने पतित बहनोंका उल्लेख किया, जिनमें से कुछ सभामें एक कोनेमें सूत कात रही थीं।