पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/२७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
चौथा प्रश्न है :[१]

जिसे अनुचित कार्य करना है, उसे कोई-न-कोई बहाना तो मिल ही जायेगा। यदि मैं अन्त्यजोंकी बस्तीमें जानेका कार्यक्रम न रखूँ तो मैं उन सबसे मिल नहीं सकूँगा और वे मुझसे जो-कुछ कहना चाहते हैं, सार्वजनिक सभामें उसे दिल खोलकर कहनेका पूरा अवसर उन्हें नहीं मिल सकेगा। अन्त्यजोंकी बस्तीमें जानेका एक उद्देश्य इस बातपर जोर देना भी है कि इससे उनको स्वयं अपने रहन-सहनको सुधारनेकी प्रेरणा मिलती है। अन्त्यजोंको सार्वजनिक सभामें सम्मिलित करनेका उद्देश्य यह है कि जनसमूह उनकी उपस्थितिको सहन करने लग जाये। इन दोनोंमें से किसी भी उद्देश्यका त्याग नहीं किया जा सकता। इसलिए जिस सार्वजनिक सभामें अन्त्यजोंका बहिष्कार किया जाये उसमें उनका सम्मिलित न होना ही सामान्य रीति मानी जानी चाहिए। यदि अमरेलीमें उक्त स्वयंसेवक द्वारा सूचित की गई घटना घटी हो तो यह दुःखजनक है। गायकवाड़के राज्यमें और वह भी अमरेलीमें अन्त्यजोंको सभामें बैठनेसे रोका जाये, यह असह्य है। 'समुद्रमें लगी आग कौन बुझा सकेगा?' किन्तु इस उदाहरणसे यह बात मेरी समझमें आ गई है कि मुझे कितनी सावधानी बरतनेकी जरूरत है। ईश्वर मेरी सहायता करें।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १४-६-१९२५
 

१३६. स्वयंसेवकके गुण

एक स्वयंसेवक लिखते हैं:[२]

यह ठीक है कि एक बार मैंने स्वयंसेवकोंके लिए एक दर निश्चित करनेका विचार किया था। मैंने भाई वल्लभभाई और अन्य लोगोंसे इस सम्बन्धमें सलाह भी की थी। किन्तु हम उस बारेमें कोई अन्तिम निर्णय नहीं कर सके। हमें तब ऐसा लगा था और अब भी लगता है कि गुजरातके लिए बंगाल और महाराष्ट्रका आदर्श बहुत ऊँचा है। उस समय काममें लगे हुए स्वयंसेवकोंसे दस रुपयेमें काम कराना लगभग असम्भव था। उस समय ऐसा लगा कि उक्त वेतनपर देशको ज्यादातर स्वयंसेवकोंकी सेवासे वंचित रह जाना पड़ेगा।

  1. लेखकने कहा था, आप अन्त्यजोंके मुहल्लोंमें जाया करते हैं। इससे स्थानीय संकीर्ण तत्वोंको यह कहनेका अवसर मिल जाता है कि अब अन्त्यजोंको सामान्य सभामें जानेकी जरूरत नहीं रही है। अमरेलीमें ऐसा ही हुआ था।
  2. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें लेखकने शिकायत की थी कि बंगाल और गुजरातमें स्वयंसेवकोंको अलग-अलग दरोंसे भत्ते दिये जाते हैं। उसने गांधीजीसे प्रार्थना की थी कि वे-उनके लिए ऐच्छिक गरीबीपर जोर दें और निर्वाहके लिए दिये जानेवाले भत्तेकी समान दर निश्चित करें।