पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/२७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१३८. भाषण : बारीसालकी सार्वजनिक सभामें[१]

१४ जून, १९२५

संयुक्त रूपसे उत्तर देते हुए, श्री गांधीने कहा कि जब मैं पिछली बार यहाँ आया था तो अश्विनीकुमार दत्त जीवित थे, यद्यपि वे पूर्णतया स्वस्थ नहीं थे। वे एक असाधारण पुरुष थे। उनमें अनेक गुण थे। उन्होंने अनेकों संस्थाओंकी संस्थापना की थी। उन्होंने देशकी खातिर कष्ट सहे और अनुपम त्याग किया था।

श्री गांधीने कहा कि मेरा खयाल है कि ऐसे चरित्रवाले व्यक्तिकी स्मृतिको स्थायी बनाना हमारा परम कर्त्तव्य है; लेकिन यह जानकर मुझे खेद हुआ कि उनका स्मारक बनानेके लिए धन-संग्रहके जो प्रयत्न किये गये, वे सफल नहीं हो पाये। मैंने खेद सहित सुना है कि पर्याप्त धन नहीं मिल पाया है। पिछली बार बारीसालमें मैंने जो-कुछ देखा था, वह मुझे अच्छी तरह याद है। खेद है कि इस बार अलीबन्धु मेरे साथ नहीं हैं। मुझे इन चरखोंसे सन्तोष नहीं है, यद्यपि यह जानकर खुशी हुई है कि इस जिलेमें तैयार सूत अन्य जिलोंके सूतसे कहीं अच्छा है।

श्री गांधीने अनुरोध किया कि आपको बेलगाँव कांग्रेसके प्रस्तावका पालन करना चाहिए और शीघ्र ही ज्यादा अच्छा काम करके दिखाना चाहिए। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि बारीसालमें अस्पृश्यताकी समस्या मद्रास-जैसी टेढ़ी नहीं है और हिन्दुओं तथा मुसलमानोंके पारस्परिक सम्बन्ध उतने खराब नहीं हैं।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १६-६-१९२५
 

१३९. सम्मति : फादर स्ट्राँगको

[१४ जून, १९२५]

ऑक्सफोर्ड मिशनके फादर स्ट्राँगने गांधीजीको बुनाईका काम देखनेके लिए अपने यहाँ आमन्त्रित किया था। गांधीजी थोड़ी देरके लिए वहाँ गये थे। फादर स्ट्राँगने उनको बुनाई विभाग दिखाया। गांधीजीने उनसे कहा :

लेकिन यह सब मिलका सूत है और अगर आप मिलका सूत इस्तेमाल करते हैं तो इससे लाखों लोगोंको नहीं करोड़पतियोंको ही लाभ पहुँचता है। इस तरह बुनाईको लाखों लोगोंका एक कुटीर-उद्योग नहीं बनाया जा सकता। उनके लिए तो कताई ही एकमात्र अनुपूरक धन्धा बन सकता है। लॉर्ड कर्जनके अनुसार एक भार-

  1. यह भाषण नगरपालिका, स्वागत-समिति और समाज सेवक संघकी ओरसे दिये गये अभिनन्दन-पत्रोंके उत्तरमें दिया गया था। लगभग ५,००० लोग सभामें मौजूद थे।