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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कहा, 'ये अपने सन्दूककी ताली भी मुश्किलसे घुमा पाते हैं——उसमें मुझे सदा उनकी मदद करनी पड़ती है। अब आप समझ सकते हैं कि सूत कातना इनके लिए क्यों इतना कठिन है।' परन्तु देशबन्धुने मुझे यकीन दिलाया है कि वे अब अध्यवसायपूर्वक चरखा चलाना जरूर सीखेंगे। उन्होंने पटनामें थोड़ा चरखा चलाना सीखा भी था। परन्तु बीमारीसे उसमें बाधा आ गई। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चरखेका पूरी तरह कायल हूँ और मैं हर तरहसे उसके प्रचारमें सहायता करना चाहता हूँ। फैशन-परस्त लोगोंसे भरे दार्जिलिंगमें कलकत्तेके मेयरके घरके सारे लोगोंको चरखा चलाते हुए तथा चरखेका वातावरण बनाते हुए देखकर मुझे बहुत हर्ष हुआ। यह कहनेकी आवश्यकता ही नहीं है कि वे सब लोग खादी पहने हुए थे। देशबन्धुके लिए खादी कोई सभासमारोहोंके समय ही पहननेकी चीज नहीं है। वे तो सदा खादी ही पहनते हैं। वे मुझसे कहते हैं कि यदि अब वे चाहें भी तो उनके लिए मिलका या विदेशी कपड़ा पहनना कठिन होगा।[१]

मन्त्री चाहिए

आशा है, जो गोरक्षामें रुचि रखते हैं, वे ऐसा विचार न करेंगे कि मुझपर जो जिम्मेदारी डाली गई है, मैं उसकी अवहेलना कर रहा हूँ। इसे स्वीकार करते समय मैंने समितिके सदस्योंको चेतावनी दे दी थी कि मुझे कोई अच्छा मन्त्री न मिला तो मैं समितिके किसी भी कार्यके लिए बिलकुल बेकार साबित हो जाऊँगा। मैं उन्हें तथा इसमें रुचि रखनेवाले अन्य लोगोंको दुःखके साथ सूचित करता हूँ कि मुझे अभीतक कोई ऐसा मन्त्री नहीं मिल सका है जिससे मुझे सन्तोष हो। उसे अंग्रेजीका समुचित तथा हिन्दुस्तानीका कामचलाऊ ज्ञान अवश्य होना चाहिए। वह ऐसा होना चाहिए जो अपना पूरा समय इसी काममें दे, किसी दूसरे काममें नहीं। उसे गायसे प्रेम होना चाहिए तथा अपने उद्देश्यकी पूर्तिके लिए संघने जो कार्यक्रम बनाया है, उसमें उसका विश्वास होना चाहिए। उसका आचरण शुद्ध होना चाहिए तथा शरीर स्वस्थ। वेतन उसकी जरूरतोंके मुताबिक दिया जायेगा, बशर्ते कि वह असाधारण न हो। अन्तमें, उसे एक अध्ययनशील विद्यार्थी होना चाहिए; क्योंकि गोरक्षासे सम्बन्धित साहित्यके अध्ययनकी आशा उसीसे की जायेगी। जो समझते हैं कि उनमें उपरोक्त योग्यताएँ मौजूद हैं, वे मुझे पूर्ण विवरण और आवश्यक वेतन सूचित करते हुए लिखनेकी कृपा करें।

तिलक स्वराज्य-कोष

इस कोषका क्या उपयोग किया गया है, लोग अभीतक इस प्रश्नको लेकर परेशान हैं। एक पंजाबी पत्रलेखकका कहना है कि उन्हें अपने खादीके दौरेके सिल-सिलेमें ऐसे लोग मिलते हैं जो इस कोषके व्ययका विवरण पूछते हैं। मैंने इन स्तम्भोंमें बार-बार कहा है कि इस कोषके पूर्णतया प्रमाणित आय-व्यय पत्रक समय-समयपर

  1. इसके पश्चात् यंग इंडियाके सह-सम्पादककी यह टिप्पणी थी : उक्त टिप्पणीके कम्पोज होनेके बाद हमें यह दुःखद समाचार मिला है कि देशबन्धुका मंगलवारको सायं ५.३० बजे दार्जिलिंगमें हृदयकी गति रुक जानेसे निधन हो गया।