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प्रकाशित किये गये हैं। जनताको यह भी जानना चाहिए कि कोष इक्कीस प्रदेशोंमें विभक्त कर दिया गया था तथा उसमें से कई लाख रुपयेकी रकम विशेष कार्योके लिए निर्धारित कर दी गई थी। केवल अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने ही समस्त देशका आय- व्यय पत्रक प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि प्रदेशोंकी कमेटियोंने भी ऐसे पत्रक प्रकाशित किये हैं। यद्यपि कहीं-कहीं कोषका दुरुपयोग किया गया है तथा कुछ गवन भी हुआ है, किन्तु कुल मिलाकर मुझे सन्तोष है कि धनका विनियोग अभीष्ट कार्यमें ही किया गया है। कांग्रेसके मामलोंका कोई भी गम्भीर विद्यार्थी जब चाहे तब इन छपे हुए आँकड़ोंका अध्ययन कर सकता है तथा स्वयं यह जान सकता है कि उक्त राशिंका विनियोग कैसे किया गया।

थैलियोंके विषयमें

उसी पंजाबी पत्रलेखकने पूछा है कि भिन्न-भिन्न स्थानोंपर मुझे जो थैलियाँ भेंट की जाती हैं उनका क्या उपयोग किया जाता है? यह धन प्रायः जहाँ एकत्र किया जाता है उन्हीं स्थानोंपर छोड़ दिया जाता है और निर्देश दिया जाता है कि उसका उपयोग खादी-प्रचारमें किया जाये। केवल, जहाँपर मुझे ऐसा दिखता है कि ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जिसे मैं उसे उपयोगके लिए सौंप सकूँ तो उसका उपयोग खादी-प्रचारके ही निमित्त आश्रमके जरिये किया जाता है। जहाँ धन किसी विशेष कार्यके लिए निर्धारित किया जाता है वहाँ स्वाभाविक तौरसे मुझे कुछ नहीं करना पड़ता, केवल सम्बन्धित व्यक्तियोंको निर्धारित कार्योंके निमित दी गई रकम सौंप देनी पड़ती है।

अब कोई उपयोग नहीं

पत्रलेखक लिखता है :
मेरी फेरीके दौरेमें मुझे ऐसे लोग मिलते हैं जो यह कहते हैं, "चूँकि कांग्रेसकी शक्ति क्षीण होती जा रही है, अतः आप खादीकी फेरी लगानेके लिए बेकारका कष्ट क्यों उठा रहे हैं? जब कांग्रेस फिर मजबूत हो जायेगी, हम तब खादी खरीद लेंगे; अभी तो हम विदेशी वस्त्र पहनते हैं। इस समय तो हमें इसी उपयोगका सुख लेने दें।" मुझसे कई वकीलोंने ऐसा कहा। किन्तु यह एक ही पहलू है। मैं एक वकीलसे मिला। उसने स्वयं कुछ खादी खरोदी; फिर वह हमें लोगोंके पास ले गया तथा हमारे साथ सप्ताहमें दो बार हर प्रकारके लोगोंमें खादीकी फेरी लगानेका वचन दिया।

लगातार कार्य करते रहनेके तो और भी उदाहरण दिये जा सकते हैं; लेकिन मुझे अभीतक किसीने ऐसी बात नहीं बताई थी जैसी पंजाबके इन वकील दोस्तोंके बारेमें कही गई है। निश्चय ही, यह कहना आवश्यक नहीं है कि खादी अस्थायी उपयोगकी वस्तु नहीं है। यह पहननेकी वैसी ही स्थायी वस्तु है, जैसे गेहूँ तथा चावल स्थायी खाद्यपदार्थ हैं। और विदेशी वस्त्र पहननेका सुख लेनेकी बात तो उन्होंने