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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिकाओंकी नगरी कलकत्तेमें हिन्दी जाननेवालोंकी एक भारी तादाद है और वहाँसे हिन्दीके अखबार भी निकलते हैं। इसलिए कलकत्तेके हिन्दी-प्रेमियोंको चाहिए कि वे स्वयं उसका भार उठा लें। उनके पास धन और विद्वज्जन दोनों हैं। वे बंगालके तमाम मुख्य-मुख्य केन्द्रोंमें हिन्दीके वर्ग खोल सकते हैं। अवश्य ही ऐसी हलचलसे मेरी सहानुभूति होगी। परन्तु इसका संगठन स्थानीय उत्साही लोगोंके द्वारा ही किया जाना चाहिए। यदि दक्षिण और बंगाल हिन्दीको अपनानेके लिए तैयार किये जा सकें तो सारे भारतके लिए एक भाषाका प्रश्न आसानीसे हल हो जायेगा। मैंने किसी भी जगह अपनी टूटी-फूटी हिन्दी या हिन्दुस्तानीकी मार्फत लोगोंको अपनी बात समझानेमें कभी कोई कठिनाई अनुभव नहीं की है।

तमिलनाड

पाठकोंको स्मरण होगा कि नई कताई-सदस्यताके अन्तर्गत तमिलनाडमें कांग्रेस सदस्योंकी संख्या इकट्ठी १,४०० दी गई थी। मुझे मन्त्रीका तार मिला है कि वहाँ मईके अन्ततक 'क' वर्गके ९८९ और 'ख' वर्गके ८०२ सदस्य बनाये गये। ये अंक उत्साहवर्धक हैं। इससे लगता है कि तमिलनाडमें आसानीसे इससे भी अच्छा काम किया जा सकता है।

वी॰ वी॰ एस॰ अय्यर

'यंग इंडिया' के पाठकों को श्री वी॰ वी॰ एस॰ अय्यरकी[१] पानीमें डूब जानेसे मृत्यु होनेपर मेरी ही तरह दुःख होगा। मुझे उनसे सालों पहले लन्दनमें मिलनेका अवसर मिला था। वे तब उग्र अराजकतावादी थे। किन्तु वे धीरे-धीरे नरम हो गये थे। उनका देशप्रेम बड़ा ही ज्वलन्त था। वे पक्के असहयोगी थे और उन्होंने अभी हाल ही अपनी पूरी शक्ति शेरमादेवी गुरुकुलको चलानेमें लगानेका विचार किया था। मैं उन्हें सदा बहुत अच्छा, सच्चा और स्थायी राष्ट्रसेवक मानता था। परमात्मा उनकी आत्माको शान्ति दे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १८-६-१९२५
 
  1. तमिल विद्वान् कम्बा रामायणके भाष्यकार।