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अपील : अखिल बंग देशबन्धु-स्मारक कोषके लिए

——डा॰ सर नीलरतन सरकार और श्रीयुत सतीशरंजन दास——को शामिल करनेका फैसला किया है।

७, हैरिंगटन स्ट्रीटके सर राजेन्द्र मुखर्जीने कोषाध्यक्षके रूपमें काम करनेके लिए स्वीकृति देनेकी कृपा की है।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका,२३-६-१९२५
 

१६९. अपील : अखिल बंग देशबन्धु- स्मारक कोषके लिए

कलकत्ता
२२ जून, १९२५

मुझे विश्वास है कि जो अपील लॉर्ड सिन्हा तथा अन्य व्यक्तियोंके हस्ताक्षरोंके साथ अखिल बंग स्मारक कोषके सम्बन्धमें प्रकाशित की गई है उसकी ओर बंगालकी जनता शीघ्र ध्यान देगी और उसमें उत्साहपूर्वक अपना योगदान करेगी। आशा है कि दस लाख रुपयोंकी राशि तो सभी बंगाली लोगोंसे तथा उन लोगोंसे जो बंगालमें बस गये हैं और जो बंगालमें अपनी जीविका उपार्जित कर रहे हैं या धन कमा रहे हैं, प्राप्त हो जायेगी। मेरी अपील खासकर बंगालके नवयुवकोंसे है, क्योंकि सम्भवतः अन्य वर्गोंकी अपेक्षा बंगालका नवयुवक वर्ग देशबन्धुका अधिक ऋणी है। यों तो दस लाख रुपये दस करोड़पतियोंसे ही प्राप्त हो सकते हैं, परन्तु वांछित यही है कि यह रकम विशेषतः गरीब तबकेके लोगोंसे, जो दो-चार पैसे देनेमें भी समर्थ हों, एकत्र की जाये। गत १८ तारीखको देशबन्धुकी शवयात्रामें जो लाखों व्यक्ति शरीक हुए थे, वे इस कोषकी पूर्ति के लिए अपना समुचित योगदान दे सकते हैं और उन्हें देना भी चाहिए।

याद रहे कि जो दस लाख रुपये माँगे गये हैं, आवश्यकताको देखते हुए वे कमसे-कम ही हैं, अधिकसे-अधिक कदापि नहीं। श्री देशबन्धुकी मिल्कियतपर जो दो लाख बीस हजारका कर्ज है उसे अदा करनेके उपरान्त सात लाख अस्सी हजार रुपये ही बच रहेंगे——यह रकम एक अस्पतालके खोलने और नर्सोंकी प्रशिक्षण संस्थाके लिए कोई बड़ी रकम नहीं है।

क्या यह लक्ष्य सामने रखना उचित न होगा कि इस पूरे कोषका एकत्रीकरण पहली जुलाईसे पूर्व समाप्त हो जाये। समय कम है——यह मैं मानता हूँ, परन्तु यदि सभी केन्द्र तत्काल ही संगठित हो जायें और ठीक ढंगसे चन्दा इकट्ठा करना शुरू कर दें तो इस रकमको एकत्र कर लेना बंगालके सामर्थ्यके बाहरकी बात नहीं है। मुझे कोष इकट्ठा करनेका थोड़ा-बहुत अभ्यास है। इसी नाते मैं जनतासे यह कहना चाहता हूँ कि लोग चन्दा उन्हींको दें जिनसे वे परिचित हों या जिनपर उनका