पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/३२२

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२९० [ पुनश्च : ] अभी मैं यहाँ कलकत्तामें ही गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय रहूँगा । ६१९३ ) से । सौजन्य : नारणदास गांधी १७३. प्राप्त चन्देकी स्वीकृति कलकत्ता २३ जून, १९२५ मुझे जनताकी जानकारीके लिए यह घोषित करते प्रसन्नता हो रही है कि चन्देकी ये राशियाँ सर राजन्द्र मुखर्जी के हवालेकी जा चुकी हैं : एन० एन० सरकार एस० आर० दास राय ए० एन० बोस सी० सी० ला एस० के० ए० सुप्रभा देवी गुप्त दान मौलवी अब्दुल हकीम रुपये १०,००० ५,००० १,००० १,००० १,००० 2,000 १,००० १०० १० १०० कुल २०,२१० मेरे पास एक हजार रुपयेका एक चेक और सोनेकी एक अँगूठी भी सर मुखर्जी- को देनेके लिए रखी हुई है । मैं जानता हूँ कि सर मुखर्जी के पास कुछ छोटी-मोटी रकमें भी भेजी गई हैं। इस प्रकार आरम्भ काफी अच्छा हुआ है । पहली जुलाईसे पहले दस लाख रुपये इकट्ठे करनेका मतलब हुआ रोजाना सवा लाख रुपये इकट्ठा करना। यह औसत तभी कायम रह सकेगा जब प्रत्येक कार्यकर्त्ता मुस्तैदी के साथ जुट जाये। इसलिए मुझे उम्मीद है कि कोई भी कार्यकर्त्ता १. अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषके कोषाध्यक्ष । Gandhi Heritage Portal