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१७७. भेंट : 'इंग्लिशमैन' के प्रतिनिधिसे

कलकत्ता
२४ जून, १९२५

महात्मा गांधीने 'इंग्लिशमैन' के प्रतिनिधिके पूछनेपर कहा:

स्वराज्य दलमें कोई फूट न तो है और न होगी ही।

उन्होंने आगे कहा कि स्वराज्य दलके भविष्यके सम्बन्धमें बहुत-सी अटकलें लगाई जा रही हैं और अफवाहें उड़ रही हैं, परन्तु वह सब लोगोंका अनुमान-ही-अनुमान है और उनका कोई आधार नहीं है।

पत्र-प्रतिनिधिने पूछा कि यदि आपको स्वराज्य दलका नेतृत्व दिया जाये तो आप उसे स्वीकार करनेके लिए तैयार होंगे? महात्मा गांधीने उत्तर दियाः नहीं। यह सर्वथा आवश्यक है कि बंगालमें स्वराज्य दलका नेता बंगाली ही हो। इस उच्च सम्मानके लिए एकसे अधिक बंगाली उपयुक्त हैं, परन्तु जहाँतक योग्यता, अनुभव और स्वराज्य दलकी कार्यप्रणालीके ज्ञानका सम्बन्ध है, मेरे मतसे स्वर्गीय देशबन्धु चित्तरंजन दासके सहायक श्री जे॰ एम॰ सेनगुप्त सबसे अधिक उपयुक्त हैं।

राष्ट्रवादियों और स्वराज्यवादियोंके एकीकरणको जो बात कही जाती है उसके सम्बन्धमें पूछे जानेपर महात्मा गांधीने कहा कि अगर ये दोनों दल सम्मानयुक्त शर्तोंपर संयुक्त हो जायें तो यह देशके लिए सबसे अधिक हितकर बात होगी।

महात्माजीने कहा कि मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। मैं कलकत्तेमें अभी एक महीना और ठहरूँगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २६-६-१९२५