कक्षाएँ स्वावलम्बी नहीं बनाई जा सकतीं; किन्तु कताईकी कक्षा सदैव स्वावलम्वी बनाई जा सकती है। पहले तो उसके लिए अलग कताई-अध्यापककी आवश्यकता नहीं है। थोड़ी-बहुत प्रेरणाके द्वारा विद्यमान अध्यापक वर्गको कताईमें यथेष्ट ज्ञान प्राप्त करनेके लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है और वे अपनी-अपनी कक्षाओंको कताई सिखा सकते हैं। वैसे, स्कूलके जो छात्र इस कलाको सीखनके लिए तैयार हों, यदि उन्हींको दूसरोंको कातना सिखा सकनेके लिए प्रशिक्षण दिया जाये तो इतना भी काफी है। शिक्षकोंको इसके लिए जो अतिरिक्त वेतन दिया जायेगा वह पहले महीनेकी कताईकी फीससे आसानीसे निकाला जा सकता है। लड़के प्रति घंटा कमसे-कम औसतन एक धेला कमायेंगे। वास्तवमें तो प्रत्येकको एक पैसेके हिसाबसे कमाना चाहिए। बत्तीस छात्रोंकी कक्षा चार आने प्रतिदिन कमा सकेगी। इसका मतलब है ७१/२ रुपये प्रतिमास। अध्यापककी वेतन वृद्धि २१/२ रुपये प्रतिमाससे अधिक न होगी। इस प्रकार शेष ५ रुपया प्रतिमासकी बचत होगी। मैं यह अवश्य मान रहा हूँ कि लड़कोंका काता हुआ सूत बिक जायेगा। अच्छे कते सूतको बेचनेमें कोई कठिनाई नहीं है। तथा किसीकी देखरेखमें कातनेवाले लड़के अवश्य ही अच्छा सूत कातेंगे। निश्चय ही, जहाँतक इस संस्था-विशेषका प्रश्न है, खादी प्रतिष्ठानने वचन दिया है कि वह जरूरतकी रुई उधार दे देगा तथा निर्धारित मूल्यपर कता सूत खरीद लेगा। सच तो यह है कि अध्यापक इस राष्ट्रीय कलामें पर्याप्त रुचि ही नहीं लेते। इन्स्पेक्टरके मापदण्डके अनुसार जो असफलता दिखाई देती है, उसका कारण यही है।
एक गाँवका प्रयोग
सेलम जिलेके पुदुपालयम गाँवमें जो काम किया जा रहा है उसके सम्बन्धमें श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी लिखते हैं :[१]
पाठक देखेंगे कि वहाँ वास्तविक कार्य पिछले अगस्तमें आरम्भ किया गया था। नौ मास एक अल्प अवधि ही है; किन्तु उसमें जो उन्नति की गई है वह अति उत्साहवर्धक है। पाठक यह भी देखेंगे कि यद्यपि केन्द्र एक गाँवमें रखा गया है; किन्तु सेवाका विस्तार वस्तुतः बीस गाँवोंमें है। इस आश्रममें अबतक दस पंचम बालकोंको शिक्षा मिल चुकी है, यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। यह स्मरण रहे कि भारतमें इस प्रकारकी यही एक प्रवृत्ति नहीं है। मैंने देखा है कि बंगालमें ऐसे प्रयास कई जगह किये गये हैं। मैंने पत्रमें से रुपये-पैसेका हिसाब और जाँच किया हुआ आय-व्यय पत्रक निकाल दिया है। इनको दो अधिकृत हिसाब- परीक्षकोंने प्रमाणित किया है। आँकड़ोंसे जाहिर होता है कि खद्दर विभागको चलानेमें कोई नुकसान नहीं हुआ है।
'कूदनेको तत्पर'[२]
मैंने आपके घने लिखे पन्द्रह सफे पढ़ लिये हैं। मैं उत्तरके रूपमें आपको यही सलाह दे सकता हूँ कि आप इस सम्बन्धमें दिये गये मेरे उत्तरोंको बार-बार पढ़ें।