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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
बजाय ७५ होना चाहिए। लेकिन बर्मा प्रदेश कांग्रेस कमेटीने बादकी संख्या ७५ देते समय 'क' और 'ख' श्रेणोके अन्तर्गत कोई विवरण नहीं दिया है।
इस तालिकासे स्पष्ट देखा जा सकता है कि २० प्रान्तोंमें से केवल ६ ने चालू माहमें जानकारी भेजी है। केरलने कोई भी जानकारी नहीं भेजी। शेष १३ प्रदेशोंकी केवल पिछले मासकी संख्याएँ उपलब्ध हैं। इन १३ प्रदेशोंकी पिछले मासको तथा ६ प्रान्तोंकी चालू मासकी कुल सदस्य संख्या १५,३५५ है।

मैं इस पत्रको केवल भूल-सुधारके लिए नहीं छाप रहा हूँ, बल्कि यह स्वीकार करनेके लिए छाप रहा हूँ कि मैं मासिक तालिकाएँ मँगाने-जैसे सीधे-सादे मामलेमें भी अनुशासनका पालन नहीं करा सका हूँ। मैं बेलगाँवमें[१] कहा करता था कि मैं अनुशासनका पालन करानेमें बहुत सख्त हूँ। मैं देखता हूँ कि मैं प्रादेशिक कमेटियोंका सहयोग प्राप्त करनेमें असफल रहा हूँ। कांग्रेसके संविधानमें अनुशासनहीन कमेटियोंके लिए कोई सजा नहीं रखी गई है। यदि रखी भी गई हो तो मैं उसे लागू करना नहीं चाहता। यद्यपि मेरा घमण्ड चूर-चूर हो गया है, फिर भी मुझे प्रभुसे प्रार्थना करनी चाहिए और आशा रखनी चाहिए। क्या कमेटियाँ अपने कर्त्तव्यके प्रति सजग होकर महामन्त्रीकी तालिकाएँ भेजनेकी प्रार्थनाका उचित उत्तर देंगी?

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-६-१९२५
 

१७९. नम्रताकी आवश्यकता

बंगालमें कार्यकर्त्ताओंसे बातचीतके दौरान मेरा एक नवयुवकसे साबका पड़ा। उसने अपनेको ब्रह्मचारी कहा और कहा कि लोग मुझे मेरे अन्य गुणोंके अतिरिक्त इसलिए भी मानें कि मैं ब्रह्मचारी हूँ और मेरे साथी ब्रह्मचारी हैं। उसने यह बात इस तरह कही और ऐसे यकीनके साथ कही कि मेरे मनमें उसके प्रति अरुचि होने लगी। मैंने अपने मनमें कहा कि यह व्यक्ति ऐसे विषयोंके बारेमें बोल रहा है जिनका जरा भी ज्ञान इसे नहीं है। उसके साथियोंने उसके दावोंका खण्डन किया। और जब मैंने उससे जिरह की तब तो खुद उसने भी मान लिया कि उसका दावा निराधार है। जो व्यक्ति शारीरिक पाप न करते हुए भी मानसिक पाप करता है तो वह ब्रह्मचारी नहीं है। जो व्यक्ति किसी रमणीको देखकर, फिर वह कितनी ही सुन्दर क्यों न हो——डिग जाता हो, वह ब्रह्मचारी नहीं है। जो केवल विवशतासे अपने शरीरको अपने वशमें रख रहा है, वह काम तो अच्छा कर रहा है, पर वह ब्रह्मचारी नहीं है। हमें अनुचित अप्रासंगिक प्रयोग करके पवित्र शब्दोंका मान न घटाना

  1. दिसम्बर १९२४ के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके वार्षिक अधिवेशनमें; देखिए खण्ड २५ पृष्ठ ४८६-८७ ।