पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/३४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०९
अपील : देशबन्धु श्रद्धांजलि-सभाके सम्बन्धमें

करता। मैंने तो समझा था कि देशबन्धु-स्मारक कोषके लिए गुजराती समाजके हिस्सेका चन्दा लेनेके लिए ही मैं इस सभामें आया हूँ। और अपने गुजराती भाइयोंसे तो साफ और यहाँतक कि कड़ी बात बोलनेकी मेरी हमेशासे आदत रही है। मुझे इस बातकी प्रसन्नता है कि मेरे निवेदनोंका उत्तर गुजरातियोंने हमेशा ही उदारतापूर्वक दिया है। बुरे कामोंके लिए नहीं, बल्कि अच्छे कामोंके लिए विभिन्न प्रान्तोंमें प्रतिद्वन्द्विता पैदा करना मेरी आदत रही है। मैं पक्की तौरसे नहीं कह सकता कि जब स्वराज्य कायम होगा तब स्वराज्यका झण्डा फहरानमें कौन-सा प्रान्त प्रथम रहेगा। लेकिन मुझे विश्वास है कि जो भी प्रान्त सच्चे अर्थोंमें समूचे देशके प्रति अपना कर्त्तव्य निभाता रहेगा, उसीको यह श्रेय प्राप्त होगा। जब मैंने तिलक स्वराज्य कोषके लिए एक करोड़ रुपयेकी अपील की थी तो गुजरातियोंने बहुत ही सराहनीय उदारता प्रदर्शित की थी। और मुझे यह सोचकर खुशी हो रही है कि आज शाम कलकत्तेके गुजरातियोंसे की गई मेरी अपील व्यर्थ नहीं जायेगी। आज व्यापारमें बहुत अधिक मन्दी है, सो मैं जानता हूँ, तथापि मुझे गुजराती समाजसे कमसे-कम दस लाख रुपये माँगने हैं; और मुझे आशा है कि जो कमी अभी रह गई है वह कोष संग्रहके लिए बचे आगामी तीन चार दिनोंमें पूरी कर दी जायेगी।[१]

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २७-६-१९२५
 

१८६. अपील : देशबन्धु श्रद्धांजलि-सभाके सम्बन्धमें

मुझे आशा है कि जनता पहली जुलाईकी तिथि याद रखेगी। जो लोग कलकत्तामें देशबन्धु श्रद्धांजलि-सभाओंका आयोजन कर रहे हैं, वे इस निष्कर्षपर पहुँचे हैं कि तीन सभाएँ करना आवश्यक है——एक तो विक्टोरिया मेमोरियलके उत्तरवाले मैदानमें सार्वजनिक सभा, दूसरी मिर्जापुर पार्कमें केवल महिलाओंके लिए और तीसरी टाउन हॉलमें, जहाँ टिकटों द्वारा प्रवेश हो। चूँकि पहली जुलाईको सारे भारतमें होनेवाली सभाएँ, किसी एक दलसे सम्बन्धित न होकर निर्दलीय किस्मकी रखी जा रही हैं, और चूँकि बहुतेरे लोगोंने जो देशबन्धुके राजनीतिक विचारोंसे सहमत नहीं थे, श्रद्धांजलि-सभाओंमें उपस्थित होकर उनकी यादगारके प्रति आदरभाव व्यक्त करनेका अपना निश्चय प्रकट किया है, उचित यही समझा गया कि सार्वजनिक सभाके अलावा टाउन हॉलमें भी एक सभा ऐसी की जाये, जिसमें विभिन्न दलोंके लोग शरीक हों और जहाँ उपयुक्त भाषण दिये जायें। संयोजकोंके सामने कठिनाई यह है कि टाउन हॉलमें प्रवेशके लिए टिकट किसे-किसे भेजे जायें। मुझे मालूम हुआ है कि टाउन हॉलमें केवल

  1. भाषणके बाद देशबन्धु-स्मारक कोपके लिए चन्दा किया गया। नकद राशि और दानके वादोंके रूपमें कुल मिलाकर करीब ७,००० रु॰ आये।