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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ऐसा दूसरा कौन-सा साधन है, जिससे वे ऐसे लोगों और सच्चे कार्यकर्त्ताओंमें अन्तर कर सकें? इसीलिए स्वयंसेवकोंको अपने भीतर धीरज, शान्ति, स्वार्थहीनता आदि गुणोंका विकास करना पड़ता है। जनताके पास तो अनुभवके सिवा कोई दूसरा ज्ञान नहीं होता।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २८-६-१९२५
 

१९३. पत्र : सी॰ एफ॰ एन्ड्रंयूजको

२९ जून, १९२५

प्रिय चार्ली,

तुम्हारा पत्र और 'फादर फरगिव देम' अनुच्छेदपर तुम्हारा लेख मिला। तुम्हारे लेखका मैं इस्तेमाल कर सकूँ उससे पहले मेरे पास मूल पत्रका आ जाना जरूरी है। कृपया उसे खोजकर भेजो। मुझे जुलाईके अन्ततक बंगालमें ही रहना होगा। आशा है कि बड़े साहबका[१]कष्ट कुछ हलका हुआ होगा। उन्हें मेरा स्नेह-सन्देश दें और कहें कि मैं उनकी बराबर याद करता रहता हूँ।

तुम्हारा,
मोहन

श्री सी॰ एफ॰ एन्ड्र्यूज
द्वारा प्रिंसिपल
सु॰ रुद्र
सोलन
शिमला हिल्स

अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०४९) से।

 
  1. अनुमानतः सुशीलकुमार रुद्र, जो बीमार थे।