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२०५. चूड़ियोंकी वर्षा

मैदानमें आमसभाका दृश्य अनोखा था।[१] स्वयंसेवकों द्वारा की गई व्यवस्था बहुत ही अच्छी थी। पूर्ण शान्तिके साथ प्रस्ताव पारित हो जानेतक एक भी व्यक्ति अपने स्थानसे नहीं हिला। इतना विशाल श्रोता-समुदाय साराका-सारा पूरे एक मिनट तक मौन खड़ा रहा। मैंने बंगालमें पहले कभी इतनी उच्च कोटिकी, इतनी मर्यादापूर्ण, इतने गाम्भीर्यपूर्ण वातावरणमें और इतनी श्रद्धापूर्ण कोई सभा नहीं देखी। मैं उन लोगोंको जो मैदानमें एकत्र हुए और उन स्वयंसेवकोंको जिन्होंने सभाका प्रबन्ध किया, बधाई देता हूँ। मुझे खेद है कि यद्यपि मेरी इच्छा बहुत थी, मैं टाउन हॉलकी सभामें शरीक न हो सका। स्त्रियोंकी सभामें मुझे एक घंटेसे ऊपर रुकना पड़ा यानी वहाँ मैं पौने आठ बजेतक रहा। इस सभाका दृश्य अनोखा ही था। भारतकी इन श्रद्धालु बेटियोंने अपीलके उत्तरमें सोनेकी चूड़ियाँ, अँगूठियाँ और कंठहारोंकी वर्षा कर दी। ५०० रु॰ के अलावा, सोनेकी ६० चूड़ियाँ, ६ जंजीरें, १६ अँगूठियाँ, जिनमें कुछ जड़ाऊ थीं, और २० से ऊपर बुन्दे प्रदान किये। मुझे आशा है कि कलकत्तेकी महिलाएँ सभामें शुरू किये गये कामको जारी रखेंगी और जिन्हें उस सभामें शरीक होनेका मौका नहीं मिल पाया, वे अपना हिस्सा भेज देंगी। महिलाओंसे चन्दा वसूल करनेकी इच्छा रखनेवालोंके लिए सबसे सरल तरीका यह है कि वे अपने मित्रवर्गमें ही चन्दा वसूल करने जायें। मुझे पता चला है कि इससे पहले अवसरोंपर अनधिकृत लोगोंने चन्दा इकट्ठा करनेमें धोखेबाजी की है, और चूँकि चन्दा इकट्ठा करनेके प्रमाणपत्र भी जाली बना लिये गये थे, इसलिए समितिने महिलाओंको अधिकार-पत्र देनेकी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली है। इसी कारणसे मैं इस बातपर जोर दे रहा हूँ कि जो लोग चन्दा इकट्ठा करें वे केवल अपने मित्रोंसे ही चन्दा लें, ताकि धोखाधड़ीकी सम्भावना न रहे।

 
[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २-७-१९२५
  1. देखिए "अपील : देशबन्धु श्रद्धांजलि-सभाके सम्बन्धमें", २७-६-१९२५ से पूर्व।