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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लगाना पसन्द किया। उपद्रवस्थलपर पहुँचकर उन्होंने टेलीफोनसे मौलाना अबुल कलाम आजादसे कहा कि वे भी वहाँ पहुँचे और मुझे भी साथ लेते आयें। मौलाना साहब आये और हम तत्काल मोटरसे खिदरपुर गये। करीब साढ़े पाँच बज चुके थे। रास्तेमें हमने बहुत-से उत्तेजित मुसलमानोंको यह कहते सुना कि अनेक मुसलमान मार डाले गये हैं। उनके पास लाठियाँ थीं। मौलाना साहबने उन्हें शान्त किया और उनसे कहा कि वे और मैं मामलेकी जाँच करने जा रहे हैं और हुआ चाहे जो हो उसका बदला लेनेकी बात उन्हें नहीं सोचनी चाहिए, जिसे वे हिन्दुओंकी ज्यादती मानते हैं। उन्होंने मौलाना साहबकी बात सुनी और तितर-बितर हो जानेको राजी हो गये। जब हम उसी बस्तीके फाटकपर पहुँचे तब हमें श्री सेनगुप्त मिले। उन्होंने हमें बताया कि जब वे वहाँ पहुँचे तब लोग खुलकर लड़ रहे थे। लड़ाई बन्द हुई परन्तु कठिनाईके साथ। वहाँ पहुँचनेके सभी रास्तोंपर तैनात पुलिस किसीको अन्दर नहीं जाने देती थी और ऐसा लगा कि अहातेसे सब बाहरी लोग हटा दिये गये थे। फिर हम कुलियोंकी बैरकोंकी तरफ गये और रास्तेमें लाठियोंसे लैस हिन्दुओंकी एक बड़ी भीड़ देखी। यह पूछनेपर कि आप लोग यहाँ क्यों जमा हैं, उन्होंने कहा कि वे वहाँ आत्मरक्षाके लिए जमा हुए हैं, क्योंकि उन्हें मुसलमानोंके हमलेका अन्देशा है। मैंने उनसे कुछ देर बात की और उन्हें बताया कि हमें जो सूचना मिली है, उससे जाहिर होता है कि हिन्दुओंने ही मुसलमानोंको निर्दयतापूर्वक मारा है, जिनकी तादाद हिन्दुओंकी अपेक्षा बहुत कम थी। और मैंने उनसे यह भी कहा कि यदि उन्होंने गलत काम किया है तो उन्हें क्षमा माँगनी चाहिए। उनमें से एकने कहा कि प्रथाके विपरीत लाइनोंमें एक गाय मारी गई है, इसीसे कुली उत्तेजित हो उठे थे। फिर हम उस जगह गये जहाँ गायके मारे जानेकी बात बताई गई थी। वहाँ पहुँचनेपर हमने पाया कि जहाँ गाय मारे जानेका स्थान दिखाया गया था वहाँ किसी भी गायके मारे जानेका कोई चिह्न नहीं था। कुछ हड्डियाँ वगैरह अवश्य पड़ी थीं। वहाँ मौजूद मुसलमानोंने हमें बताया कि गाय एक मसजिदमें मारी गई थी और खाल उतारनेके पश्चात् माँस उनके घरोंमें गाड़ी द्वारा लाया गया था। वहाँ कोई खून या गोवध सूचक कोई चिह्न नहीं था। जब हम लोग पूछताछ कर रहे थे उस समय पुलिस कमिश्नर श्री टेगर्ट मौजूद थे। मेरे निष्कर्षके अनुसार दोष सरासर हिन्दुओंका ही लगता है। मैंने वही कहा भी और इसका तीव्र प्रतिवाद नहीं किया गया। हिन्दुओंने मुसलमानोंसे क्षमा-याचना भी की थी और उनसे कहा कि हम अब ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे। उस समयतक पुलिस कमिश्नरके पास जो खबर पहुँची थी, उसके अनुसार कोई मौत नहीं हुई थी, हालाँकि अनेकों आहत मुसलमानोंमें से दोकी हालत गम्भीर थी। मौलाना साहबने मुसलमानोंको शान्त किया और उनको बताया कि उन्हें बढ़ा- चढ़ाकर दी गई खबरोंको कोई महत्त्व नहीं देना चाहिए और अभीतक कोई मौत नहीं हुई है। उन्होंने उनसे कहा कि आप सब लोग चुपचाप तितर-बितर हो जायें। मुसलमान राजी हो गये। हमने जो सुना है और देखा उसे सच माना जाये तो इस बातमें कोई सन्देह नहीं रहता कि हिन्दू कुली सरासर गलतीपर थे और उन्होंने बेकसूर