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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ऐसे लोगोंके लिए नहीं लिखी गई है जिन्होंने मेरे लेखोंको पढ़कर अस्पृश्यताको महापाप मान लिया है। यह तो केवल उनके लिए ही लिखी गई है जिन्हें यह हार्दिक विश्वास हो गया है कि अस्पृश्यता महापाप है। इसका अर्थ यह हुआ कि जबतक हम केवल बुद्धिसे इस बातके कायल हो पाये हैं तबतक पिताकी आज्ञाकी अवहेलना नहीं की जा सकती, क्योंकि उसका पालन करना हृदयका गुण है। यदि किसीके कहनेसे प्रह्लादने रामका नाम लेनेका आग्रह किया होता तो उसका धर्म था कि वह पिताके मना करनेपर रामका नाम लेना छोड़ देता।

चौथा और आखिरी दृष्टान्त यह है:[१]

मैं पति-पत्नीका धर्म यह नहीं मानता कि यदि उनमें से एक विकार-वश हो तो दूसरा उसकी वासनाको तृप्त करनेके लिए बाध्य है। एक विकार-वश होनेपर दूसरेको भी उस विकारमें सम्मिलित करे तो वह बलात्कार है। पति या पत्नीको बलात्कारका अधिकार नहीं है। विकार आग की तरह है। वह मनुष्यको सूखी घासकी तरह जलाता है। सूखी घासके ढेरमें एक तिनकेको सुलगा दें, बस सारा ढेर भस्मसात् हो जायेगा। हमें हरएक तिनकेको अलहदा-अलहदा जलानेका कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा। एकके मनमें विकार उत्पन्न होता है तो उसका प्रभाव दूसरेपर होता है। दम्पतीमें से एकके मनमें विकार उत्पन्न होनेपर दूसरा निर्विकार रह सके तो मैं उसकी हजार बार वन्दना करता हूँ।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ५-७-१९२५

२१०. मनोरंजक शिक्षा

हमें अंग्रेजी स्कूलोंमें खगोलकी कुछ जानकारी दी जाती है; अथवा यों कहें कि मेरे वक्तमें दी जाती थी। गुजराती स्कूलोंमें तो वह दी ही कैसे जा सकती थी? अंग्रेजी स्कूलोंमें भी उसके बारेमें जो-कुछ बताया जाता था वह भी इस प्रकारसे बताया जाता था कि शिक्षकको एक बार भी आकाशमें छात्रोंको तारे दिखानेकी बात कभी सूझती ही न थी। फिर यदि सूझती भी तो वह बेचारा बताता क्या? मुझे इसमें शंका है कि यदि उसे कोई मंगल ग्रह दिखानेके लिए कहता तो वह दिखा सकता था या नहीं। फिर भी यह विषय आकाशके ग्रह और तारोंके पहचाननेके सम्बन्धमें है, इस कारण यह आकाशमें उन्हें दिखाकर ही पढ़ाया जाना चाहिए।

उस समय ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता था। मैं यह तो जानता था कि यदि यह विषय आकाश दिखाकर पढ़ाया जाए तो इसमें बहुत रस आ सकता है, किन्तु इसका विशेष ज्ञान तो मुझे यरवदा तीर्थमें ही हुआ। वहाँ हमें बाहर खुलेमें

  1. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया था कि पतिने ब्रह्मचर्यका व्रत ले लिया है। उसके चारों बच्चे जो उत्पन्न हुए थे मर गये हैं। पत्नी चाहती है कि उसके और सन्तान हो।