पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/३८९

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मैं कहता हूँ कि सब्र रखकर इन्तजार करना भी सेवा करना ही है। यदि इन प्रसिद्ध सज्जनकी तरह बहुतसे मुसलमान मेरे सेवाकार्यकी जाँच करना चाहते हैं तो मैं उनसे कहूँगा कि वे इसमें अपना सिर न खपायें, इस आश्वासनपर कि मैं उनकी सक्रिय रूपसे न सही प्रार्थनापूर्वक तटस्थ रहकर अप्रत्यक्ष रूपसे सेवा ही कर रहा हूँ।

वैद्योंकी शिकायत

मेरे वैद्यों और हकीमोंकी आलोचना करनेपर वैद्योंके दिलपर बहुत चोट पहुँची है। वे मुझपर मस्तिष्ककी दुर्बलताका दोष लगाते हैं और अपने प्रति मुझे अहिंसक नहीं मानते। मुझे खेद है कि मेरे कारण उनके दिलको चोट पहुँची। परन्तु मैं अपनेको अपराधी नहीं मान सकता। मैंने आयुर्वेदकी आलोचना नहीं की है। आलोचना उनकी की है जो वैद्य बननेका पाखण्ड रचते हैं। इनमें से भी मैंने सबकी नहीं बल्कि उन अधिकांशकी ही आलोचना की है जो झूठे दावे करते हैं और जिसके लिए मैंने उनको दोष दिया है। देशी दवाओं और वनस्पतियोंकी जाँच-पड़ताल के प्रस्तावका समर्थन करने और कुछ वैद्योंके अख्तियार किये हुए ढंगकी निन्दा करनेमें कोई पारस्परिक विरोध नहीं है। यहाँतक कि मेरे कलकत्तेमें आयुर्वेदिक कालेजकी नींव डालने और कविराजोंको चेतावनी देनेमें भी कोई विरोध नहीं है। पूनाके वैद्य मेरी मित्रभावसे की हुई आलोचनाको अस्वीकार कर सकते हैं। इससे मुझे खेद तो होगा, परन्तु इस अस्वीकृतिसे मेरा अनुभवजन्य निश्चय बदलेगा नहीं। मैंने जो-कुछ कहा है उसके लिए मेरे पास बहुत-से प्रमाण हैं। मैं ऐसी हर वस्तुको जो प्राचीन और महान् है पसन्द जरूर करता हूँ, परन्तु उसकी नकल मुझे कतई पसन्द नहीं। मैं नम्रतापूर्वक इस बातको माननेसे इनकार करता हूँ कि प्राचीन पुस्तकोंमें जिस विषयपर जो-कुछ लिखा है वही उसका अन्त है, उसके अतिरिक्त और कुछ हो ही नहीं सकता। प्राचीन वस्तुओंके समझदार उत्तराधिकारीकी हैसियतसे मैं यह चाहता हूँ कि अपनी विरासतको बढ़ाऊँ। प्रतिवादियोंको जानना चाहिए कि कुछ कविराजोंने मेरी आलोचनाको पसन्द किया है और वे उसपर विचार भी कर रहे हैं। यह कहनेकी जरूरत नहीं कि वह आक्षेप उनके लिए नहीं था जो लोग नम्रतापूर्वक अपनी आर्थिक हानिका विचार किये बिना वैज्ञानिक रीतिसे खोज कर रहे हैं। उनकी संख्या ऊँगलियोंपर गिनने लायक है। मैं उनकी वृद्धि देखना चाहता हूँ।

कताई-प्रस्ताव

अहमदाबादमें अ॰ भा॰ कां॰ क॰ द्वारा पारित कताई-प्रस्तावको पाठक भूले न होंगे। उसके अनुसार जो सूत अ॰ भा॰ खादी बोर्डको प्राप्त हुआ है, उसके उपयोगका नीचे लिखा ब्यौरा मुझे उक्त बोर्डकी ओरसे मिला है।[१]

इस छोटे-से ब्यौरेसे हम कुछ सीख सकते हैं। जितना माल तैयार होना चाहिए था या हो सकता था उसके मुकाबलेमें यह माल कुछ नहीं है। परन्तु इस प्रयत्नसे तो यह प्रकट हो ही जाता है कि तफसीलकी बातोंमें थोड़ी-सी भी असावधानीसे हर

  1. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें सूतके हलके दरजेके होनेका उल्लेख था।