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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तरकी तरक्कीमें कितनी रुकावट आ जाती है। संगठन एक यन्त्रकी तरह है। यन्त्रमें छोटी-सी भी कील ढीली पड़ जाये तो सारा यन्त्र ढीला पड़ जाता है; वह बेकार भी हो सकता है, उसी तरह संगठनमें जरा भी अव्यवस्था होनेसे उसके कार्यमें और अपेक्षित परिणामोंमें दोष पैदा हो जाता है। जो लोग कताई-सदस्यताका काम कर रहे हैं, उनको इस तीन महीनेके प्रयोगसे शिक्षा लेनी चाहिए।

यह खादी सस्ती नहीं की गई सो केवल इसलिए मालकी तादाद बहुत कम थी, और यह निर्णय करना कठिन था कि सस्तेपनका लाभ किसको मिलना चाहिए। कातनेवाले सावधान हो जायें! इसपर से यह स्पष्ट हो जाता है कि विदेशी कपड़ेका बहिष्कार और सारे देशकी जरूरत-भरके लिए खादी तैयार करनेका दारोमदार आपके ही ऊपर है।

कताई एक नई आदत

एक प्रतिष्ठित अमरीकी सज्जन कताईका अभ्यास करते हैं। वे लिखते हैं:[१]

अपने अनुभवोंका वर्णन लिख भेजनेमें माफी माँगनेकी कोई बात नहीं है; क्योंकि अमरीका हो या भारत मानव-प्रकृति सब जगह एक-सी है। केवल वर्णनकी शैली भिन्न है और शायद वह 'यंग इंडिया'के पाठकोंको नई जान पड़ेगी। स्वेच्छया कताई करनेवाले उन लोगोंको भी जिन्हें अब उसका अभ्यास हो गया है, प्रारम्भमें इन्हीं कठिनाइयोंका सामना करना पड़ा था, जिनकी इन अमरीकी सज्जनने बात की है। मनमें दृढ़ संकल्प हो तो काफी है। उससे आनेवाली कठिनाइयोंका अनुमान हो जाता है और सफलतापूर्वक उनका सामना करनेकी शक्ति भी मिल जाती है। अपनी कठिनाइयोंका उपरोक्त विश्लेषण मूल्यवान है क्योंकि जिन बातोंको हम बिना जाने अनुभव करते रहे हैं, उन्हें उन्होंने स्पष्ट कर दिया है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९-७-१९२५

२१७. दुःखद जानकारी

यह पत्र[२] मुझे चटगाँवमें दिया गया था और तबसे यह मेरी बंडीकी जेबमें ही रखा है ताकि मैं अवसर मिलते ही जल्दीसे-जल्दी इसका उत्तर दे सकूँ। पाठकोंको मालूम है कि पतित बहनोंको बुराईके मार्गसे हटानेका प्रयत्न किया गया था। किन्तु उसका प्रत्यक्ष परिणाम यह हुआ है कि इस बुराईको खुली छूट मिल गई है। मैं जानता हूँ कि वेश्यावृत्ति एक भयंकर बुराई है और वह बढ़ रही है। अवगुणमें गुण देखने और कलाके पवित्र नामपर या किसी दूसरी झूठी भावनाकी आड़ लेकर बुराईको नजर-

  1. यहाँ उद्धृत नहीं किया जा रहा है। उसमें लेखकने नियमित कताई करनेको एक आदत बना लेनेके लिए बौद्धिक और मानसिक प्रयत्नोंकी आवश्यकतापर जोर दिया था और कहा था कि प्रारम्भमें भावनाको बुद्धिकी सहायतासे बल देते रहना जरूरी हो सकता है।
  2. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें वेश्यालयों, सिनेमाघरों, शराबखोरी और धूम्रपानकी बुराइयोंके बारेमें लिखा गया था।