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२२३. भाषण : स्वराज्यवादी पार्षदोंके समक्ष[१]

९ जुलाई, १९२५

महात्माजीने कहा कि सेनगुप्त कलकत्ता निवासी हैं या नहीं, आप लोगोंको इस प्रकारकी छोटी-छोटी बातोंके फेरमें नहीं पड़ना चाहिए। बड़ी बात तो यह है कि वे स्वराज्यदलके नेता हैं और बंगाल कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष हैं। आपको उसी आदमीको मेयर चुनना चाहिए जिसे आप पहले ही नेता चुन चुके हैं। आप इस तरहके उग्र वादविवादमें न पड़ें। यदि काम करनेकी उन्हें पूरी छूट दी गई तो श्री सेनगुप्त निगमके लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। आपको उनपर कोई बन्धन नहीं लगाना चाहिए, फिर राजनीतिक अथवा नगरके मामलोंमें उनका अनुकरण करना-न-करना लोगों पर निर्भर करता है। देशबन्धुके प्रत्येक कार्यमें उनका साथी होनेके कारण श्री सेनगुप्तको विरासतमें बहुत-कुछ मिला है जिससे वे कभी विमुख नहीं होंगे। यदि उन्हें अपने साथियोंका सहयोग और शुभ कामनायें मिल गईं तो उनका शासन बड़ा सुखद होगा और वह समृद्धि लायेगा।[२]

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १०-७-१९२५
 
  1. यह सभा कलकत्तामें शरतचन्द्र बसु और जे॰ एम॰ सेनगुप्तमें से किसी एकको कलकत्ता नगर-निगमका मेयर चुननेके लिए हुई थी। बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीने पार्षदोंको सेनगुप्तको चुननेके लिए प्रेरित करनेके उद्देश्यसे गांधीजी तथा मौलाना अबुल कलाम आजादको नियुक्त किया था। सेनगुप्तके सम्बन्धमें मुख्य एतराज उनका कलकत्ताका निवासी न होना था; वे मूलतः चटगावके थे। अपने एक घंटेके भाषणसे जिसका पूरा विवरण उपलब्ध नहीं है, गांधीजीने पासा ही पलट दिया और सेनगुप्त ६ के मुकाबले ३१ मतसे चुन लिये गये।
  2. सेनगुप्तको मेयर बनानेसे सम्बन्धित गांधीजीके विचारोंके लिए देखिए "कलकत्ताके मेयर ", १६-७-१९२५।