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दार्जिलिंगके संस्मरण

हैं? मैं तो अखबार पढ़ता नहीं हूँ; परन्तु मैंने 'फॉरवर्ड' के बारेमें भी ऐसी शिकायतें सुनी हैं।' वे बोले, 'हाँ, 'फॉरवर्ड' के बारेमें भी ऐसी शिकायतें सुननेमें आई हैं। 'फॉरवर्ड' दोषी हो सकता है। आप जानते ही हैं कि जैसे आप 'यंग इंडिया' में लिखते हैं और उसकी व्यवस्था करते हैं, मैं 'फॉरवर्ड' में न वैसे लिखता हूँ और न उसकी व्यवस्था देखता हूँ। फिर भी अगर लोग ऐसी बातें मेरे ध्यानमें लायेंगे तो मैं उनकी जाँच जरूर करूँगा और दोषोंको दूर कर दूँगा। मैं समझता हूँ कि आपने 'फॉरवर्ड' को हमेशा अपने बचावमें लिखते हुए देखा होगा; परन्तु बचाव करनेमें भी मर्यादाका उल्लंघन किया जा सकता है। आप जानते ही हैं कि मैं इन दिनों 'फॉरवर्ड' के अतिशयोक्तिके एक मामलेकी जाँच कर रहा हूँ। जो बातें मेरे सामने रखी गई हैं यदि वे सच हैं तो यह अतिशयोक्ति अक्षम्य है। आप यकीन मानें, मैंने इस सम्बन्धमें बहुत कड़ी चिट्ठी लिखी है। यहाँतक कि मैंने इस अतिशयोक्ति करनेवाले लेखकको भी बुलाया है।' इस तरह बातें चलती रहीं। इनमें मुझे प्रतिपक्षीके प्रति न्याय करने तथा तमाम दलोंमें एकता करानेके लिए देशबन्धुकी सच्ची उत्सुकता दिखाई दी।

मैंने पूछा, 'सर्वदलीय सम्मेलन या जैसा श्री केलकरका सुझाव है, अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीकी बैठक बुलानेके सम्बन्धमें आपकी क्या राय है?' उन्होंने जवाब दिया, 'मैं फिलहाल ऐसा नहीं चाहता। अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीकी बैठक बुलानी फजूल है, क्योंकि हम स्वराज्यवादियोंको अपना व्यवहार सच्चा रखना ही होगा। हमें नये मताधिकारको पूरा-पूरा मौका अवश्य देना चाहिए। मैं आपसे कहता हूँ, कि चरखके सम्बन्धमें मेरी स्थिति आपकी-जैसी ही होती जा रही है। मुझे डर है कि हम स्वराज्यवादियोंने सब जगह सचाईसे काम नहीं किया है। आप ठीक ही कहते हैं कि बंगालमें तो आपका विरोध किसी भी दलने नहीं किया है। परन्तु अगर मैं बिछौनेपर न पड़ा होता तो मैं चरखेको जबरदस्त रूपसे सफल करके दिखा देता। मैं कहता हूँ कि मैं चरखेका प्रचार पूरे मनसे करना चाहता हूँ और मैं उसके संगठनमें आपकी मदद भी लेना चाहता था; परन्तु आप देखते ही हैं कि मैं किस तरह लाचार हो गया हूँ। इस साल तो मताधिकारमें परिवर्तन किया ही नहीं जा सकता; उलटा हम सब लोगोंको उसे पूरा मौका देना चाहिए। मैं इसके सम्बन्धमें महाराष्ट्रीय मित्रोंको लिखने वाला हूँ।'

उन्होंने प्रस्तावित सर्वदलीय सम्मेलनके सम्बन्धमें कहा, 'हम यह सम्मेलन इसी समय न करें। मैं लॉर्ड बर्कनहेडसे बड़ी-बड़ी चीजोंकी आशा रखता हूँ। वे एक मजबूत विचारके आदमी हैं और मैं ऐसे आदमीको पसन्द करता हूँ। वे भाषणोंसे जैसे मालूम होते हैं वैसे खराब नहीं हैं। यदि हम बैठक करेंगे तो हमें मौजूदा हालतपर कुछ-न-कुछ जरूर कहना होगा। मैं नहीं चाहता कि जितना वे अभी देनेके लिए तैयार हों, हम उससे ज्यादाकी माँग करें और उन्हें उलझनमें डालें। मैं यह भी नहीं चाहता कि हम अपनी माँग सामान्यतः वे जितनी समझते हैं उससे कम बताकर उन्हें स्तब्ध कर दें। अभी हमें ठहरकर देखना चाहिए। इससे हमारा कुछ नुकसान