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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आप अपनेको ईश्वरको इच्छापर छोड़ दें। अब मैं अपने शाश्वत सन्देशपर आता हूँ। वह सन्देश है — खद्दर, अस्पृश्यता-निवारण और हिन्दू-मुस्लिम एकता। में चरखको क्षमताके सम्बन्ध जोर देकर कहता हूँ कि यह एकाग्रता और आत्म-शुद्धिका साधन है। और ये दोनों चीजें वर्तमान समयके लिए नितान्त आवश्यक हैं। मैं आप लोगोंको आशीर्वाद देता हूँ और ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको भारतकी उच्चादर्शपूर्ण परम्पराओंको कार्यरूपमें परिणत करनेकी क्षमता दे।

[अंग्रेजीसे]

अमृतबाजार पत्रिका, ८-५-१९२५


८. अस्पृश्योंके साथ बातचीत

फरीदपुर
 
[३ मई, १९२५ या उससे पूर्व ]
 

गांधीजीने सबसे पहले बंगालमें अस्पृश्यताके बारेमें जानकारी मांगी। उन्हें बताया गया कि बंगालमें अछूतोंके विभिन्न तबके हैं — शाहा, कैवर्त, नामशूद्र तथा मेहतर — और इनमें भी छोटे-बड़ेको भावनाके कलंकने घर कर लिया है। तब उन्होंने उन निर्योग्यताओंके बारेमें पूछा जिनका सामना उन्हें करना पड़ता है। एक सज्जनने स्वीकार किया कि बंगालमें उस प्रकारको अस्पृश्यता नहीं है, जैसी हम पश्चिमी और दक्षिणी भारतमें देखते हैं, किन्तु छोटे-बड़ेकी भावना तो है ही। नामशूद्र उच्च हिन्दूके घरमें प्रवेश तो कर सकता है, किन्तु उन कमरोंमें नहीं जा सकता जहाँ पानी रखा हो। कोई भी हिन्दू उसके हाथका पानी नहीं पियेगा। उसे मन्दिरों में भी नहीं जाने दिया जाता। वह नाई और धोबीकी सेवाएँ प्राप्त नहीं कर सकता। एक सज्जनने पूछा कि साहब, हम इन निर्योग्यताओंको कैसे दूर कर सकते हैं?

यह आपने बड़ा अच्छा प्रश्न पूछा है। इसके बहुत-से तरीके हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो अत्याचारी पक्षके विरुद्ध हिंसाका प्रयोग करके बलपूर्वक उससे सुधार करायेंगे। मेरी भेंट ऐसे मित्रोंसे पूनामें हुई थी। वे मुझे एक मानपत्र भेंट करना चाहते थे। मानपत्र हिन्दी या मराठीमें नहीं, बल्कि अंग्रेजीमें था, क्योंकि इस समारोहका आयोजन एक अंग्रेजी जाननेवाले युवकने किया था। वह उनका नेता होनेका दावा करता था। मानपत्रमें धमकी दी गई थी कि यदि उच्च वर्णके लोग उनके प्रति अपना व्यवहार नहीं सुधारेंगे तो वे उनके विरुद्ध बलप्रयोग करके उन्हें सबक सिखा देंगे। यह भी एक तरीका है। मैंने उन्हें बताया कि यह विचारशील लोगोंकी सद्भावनाको खो देने तथा अपने उस उद्देश्यको — जिसे वे सिद्ध करना चाहते है — निष्फल बना

१. गांधीजी १ से ४ मईतक फरीदपुरमें थे। सोमवार, ४ मईको उनका मौनवार था। इसलिये यह वार्तालाप ३ मई या इससे पहले हुआ होगा।