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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लेकिन कोई इसे सदाके लिए एक मिसाल न समझ लें। विशुद्ध सिद्धान्तकी दृष्टिसे किसी एक व्यक्तिको, चाहे वह कितना ही योग्य क्यों न हो, तीन महत्त्वपूर्ण पद सौंपना अनुचित है। कोई भी आदमी तीन-तीन भारी कामोंको पूरी तरहसे नहीं निभा सकता। हर आदमीके सामने अपनी शक्ति बढ़ानेका प्रलोभन भी बहुत अधिक होता है। जो प्रलोभन टाला जा सकता है उसके प्रति किसीके मनमें लोभ उत्पन्न करना अनुचित हैं। इसके अलावा, राजनैतिक दल चाहें तो नगरपालिकाओंको अपने अधिकारमें ले भले ही लें; किन्तु उनका सक्रिय राजनीतिज्ञोंको नगरपालिकाओंकी जिम्मेदारी सौंपना अनुचित होगा। इस गुलामीमें भी हमें नगरपालिका-सम्बन्धी मामलोंको उनके गुण-दोषके आधारपर ही तय करना चाहिए और नगरपालिका-सम्बन्धी मामलोंके ऐसे विशेषज्ञ तैयार करने चाहिए जो नगरपालिका-सम्बन्धी अपने कर्त्तव्योंको पूरा करनेमें राजनैतिक पहलूका विचार न करें। यदि हम इन सब दृष्टियोंसे सावधान नहीं रहेंगे तो नगरपालिकाओंपर कब्जा करनेका हमारा प्रयोग निश्चय हो असफल हो जायेगा। नगरपालिकाओंके कार्योंको सँभालनेके लिए एक विशेष प्रशिक्षणकी आवश्यकता है; और उसके लिए एक व्यस्त राजनीतिज्ञ सदा उपयुक्त नहीं होता। इसलिए नगरपालिकाका सदस्य जबतक नगरपालिकाकी कुर्सीपर बैठा हुआ है तबतक यदि वह राजनीतिसे सर्वथा मुक्त रहे तो इससे सम्बन्धित राजनैतिक दलको अधिकसे-अधिक लाभ पहुँचता है, यह ठीक उसी तरहकी बात है जैसे कोई व्यक्ति न्यायाधीशका पद ग्रहण करनेपर वकील या राजनीतिज्ञ नहीं रहता। मैंने नगरपलिकाके कार्योंका प्रेमी होते हुए और उनको अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जानते हुए भी एक व्यक्तिको इन तीनों पदोंका भार ग्रहण करनेकी खतरनाक सलाह क्यों दी, इसका कारण यह है कि मैं मानता हूँ कि यह समय असाधारण है, उसके लिए कोई कड़ा ही नहीं खतरनाक कदमतक उठानेकी जरूरत है। देशबन्धु दास-जैसे लोग हमेशा पैदा नहीं होते। उनके निधनसे एक ऐसा स्थान रिक्त हो गया है जिसका भरना किसी आदमीके लिए सम्भव नहीं है। जिस आदमीको उनका भार उठाना है उसको असवारण सहायकोंकी आवश्यकता है और यदि उसमें साधारण योग्यता और ईमानदारी है तो उसे सहायता मिलनी चाहिए। लेकिन जहाँतक मेरा सम्बन्ध है, मुझे आशा है कि यह प्रयोग मेरे जीवनमें पहला और अन्तिम प्रयोग रहेगा। मैंने अपने पूरे दायित्वको और इस कार्यके खतरेको समझते हुए इसका समर्थन किया है। ईश्वर श्री जे॰ एम॰ सेनगुप्तको इसके लिए आवश्यक बुद्धि और शक्ति दे। कलकत्ताके नागरिक विश्वास रखें कि एक सक्रिय राजनीतिज्ञको मेयरकी तरह चुननेमें मंशा कलकताके नागरिक जीवनके स्वस्थ विकासमें बाधा पड़ने देनेका नहीं है। इससे पहले भी ऐसा हुआ है। हमारे सामने श्री फीरोजशाह मेहता इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। निगमका उनसे अच्छा अध्यक्ष या उनसे अच्छा पार्षद पहले कभी नहीं हुआ। पिछले वर्ष श्री विट्ठलभाई पटेलने उसी परम्पराको निवाहा और उनके विरोधी भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने अपने ऊँचे पदका कार्यभार बड़ी योग्यतासे और निष्पक्षतासे वहन किया है जबकि विट्ठलभाई पटेल तो हर तरह एक सक्रिय राजनीतिज्ञ ही हैं। मैंने