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अपील : अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारकके लिए

कोषको पूर्ण सफल बनाना आत्मसम्मानकी बात माननी चाहिए। अबतक पाँच लाखसे ऊपर रुपया इकट्ठा हो गया है। मैं यह निश्चित रूपसे कह सकता हूँ कि यदि कार्यकर्त्ताओंने तत्परता नहीं दिखाई तो शेष रकमको इकट्ठा करनेमें पहले पाँच लाखकी रकम इकट्ठा करनेसे भी अधिक समय लग जायेगा।

श्रीयुत मणिलाल कोठारीने अपने कार्योंसे यह दिखा दिया है कि कोष इकट्ठा करनेमें माहिर लोग इस दिशामें क्या-कुछ कर सकते हैं। जो लोग चन्दा दे चुके थे उनमें से कुछको दुगुना और चौगुना देनेपर राजी करनेमें उन्होंने जो सफलता प्राप्त की है, उसे देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ अन्य लोगोंको भी दूसरी बार एक अच्छी रकम देनेके लिए तैयार किया जा सकता है। पर इसके अतिरिक्त स्कूल और कालेज भी हैं। उनमें इस कामके लिए कोई कोशिश ही नहीं की गई है। क्या इन संस्थाओंके प्रमुख अथवा स्वयं विद्यार्थी, जैसा कि मुझे महीनेके शुरूमें कहा गया था, छुट्टियोंके बाद कालिजों आदिके खुलेते ही इस दिशामें काम करेंगे? कलकत्तेके व्यस्त हिस्सोंके बंगाली व्यापारियों और व्यवसायियोंके बीच अभीतक प्राय: कुछ भी नहीं किया गया है। मुझे इनमें से कुछके पास ले जाया गया था और तब मेरी समझमें आया कि यदि पूरी नहीं तो कोषकी पर्याप्त राशि यहाँसे इकट्ठीकी जा सकती है। फिर विभिन्न सभी जिलोंने और कुछ अपवादोंको छोड़कर दूसरे प्रान्तोंके बंगालियोंने भी अपना हिस्सा नहीं भेजा है। क्या समय रहते मैं इन सभी भाइयोंसे अपने हिस्सेकी रकम भेज देनेकी आशा रखूँ।

अब थोड़ी अपने बारेमें सफाई भी। मैंने बंगालसे इस महीनेके मध्यतक जाने की आशा की थी; पर अब महीना समाप्त होनेसे पहले जानेकी कोई आशा नहीं दिखती। जो सज्जन देशबन्धुमें श्रद्धा रखते हैं और जो स्वयं चन्दा देने और दूसरोंको चन्दा देनेके लिए राजी करनेमें समर्थ हैं, मैं उनसे शीघ्रातिशीघ्र कोषको इकट्ठा करनेमें मदद देनेकी प्रार्थना करता हूँ।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
फॉरवर्ड, २३-७-१९२५
 
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