अंशतः 'नहीं' होगा। वे किसी तरहकी प्रत्यक्ष सहायताकी आशा न करें। हाँ, अप्रत्यक्ष सहायता उन्हें जरूर मिलती है। क्योंकि जिस दर्जेतक कांग्रेस कार्यदक्ष और शक्तिशाली होती चलती है उसी दर्जेतक रियासतोंकी प्रजाकी दशा अच्छी होती जाती है। कांग्रेसका नैतिक प्रभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे देशके कोने-कोनेमें हुए बिना नहीं रह सकता। ऐसी अवस्थामें मैं आशा करता हूँ कि अलवरके दुःखी लोग इस बातको समझ लेंगे कि यदि कांग्रेस उन्हें कोई सीधी सहायता नहीं पहुँचा सकती तो इसका कारण इच्छाका अभाव नहीं बल्कि क्षमता और अवसरका अभाव है।
आंग्ल भारतीयोंके लिए
डाक्टर मोरेनोने मुझे नीचे लिखे प्रश्न उत्तरके लिए दिये हैं:
- १. आंग्ल भारतीयोंके वर्तमान कष्ट बहुत शोचनीय हैं और ज्यों-ज्यों दिन बोतेते जाते हैं, स्थिति ज्यादा खराब होती जा रही है। जो लोग बेकार हैं वे दान नहीं चाहते, काम चाहते हैं। मेरी समझमें औद्योगिक काम-धन्धे उन्हें ज्यादा मुआफिक होंगे। आप क्या उपाय बताते हैं?
खुशीकी बात है कि ये बेकार लोग दान नहीं चाहते। पर यह कहनेके लिए मैं माफी चाहूँगा कि बेकार लोगोंके लिए हाथ बुनाई एक औद्योगिक धन्वा हो सकता है। यों मैं यह कुबूल करता हूँ कि आंग्ल भारतीय भाई अपनी मौजूदा तालीमके कारण बुनाईके योग्य नहीं रहे हैं; जिनमें असाधारण दृढ़ संकल्प हो उनकी बात अलग है। अनुमानित बातपर सलाह देना मुश्किल है। उत्साही और दानवीर आंग्ल भारतीय भाइयोंका काम है कि वे बेकार लोगोंकी गणना करवायें और फिर इस बातपर विचार करें कि उनके लिए कौनसा धन्धा मुआफिक होगा और तब उसकी तालीम उन्हें दें।
- २. आंग्ल भारतीय जैसी जातिको कताई और चरखके सम्बन्धमें आपकी विचार प्रणालीके अनुकूल बनानेके लिए काफी लम्बे अर्सेतक बहुत सक्रिय प्रचार कार्यकी आवश्यकता है। पर यदि ये लोग यह दिखा सकें कि ये आपके तैयार किये कार्यक्रमके विरुद्ध नहीं हैं तो क्या आप इतनेसे संतुष्ट हो सकेंगे?
हाँ, मैं इस बातसे सहमत हूँ कि एक व्रतके रूपमें भी कताईको अपनानेमें आंग्ल भारतीय भाइयोंके समुदायको कुछ समय लग सकता है; परन्तु खादी पहननेमें तो देरी करनेका कोई कारण ही नहीं है। खादीकी बनी जाकेट उतना ही काम देती है जितना कि विदेशी कपड़ेकी बनी जाकेट; और बिछौनेकी चादरें तो मिलकी मामूली चादरोंसे कहीं मुलायम लगती हैं। जनताके साथ आत्मीय भावका अनुभव करनेपर ही आंग्ल भारतीय भाइयोंको खद्दर पहननेकी इच्छा होगी। मेरी रायमें राष्ट्रीयताकी सच्ची भावनाकी पहली सीढ़ी यही है।
- ३. आंग्ल भारतीय जाति भारतकी एक अल्पसंख्यक जाति है। आपके सब दलोंको सम्मिलित करनेके कार्यक्रममें उसका क्या स्थान होगा?
जो व्यवहार दूसरी अल्पसंख्यक जातियोंके साथ किया जायेगा ठीक वही आंग्ल भारतीय जातिके साथ किया जायेगा।