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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और अधिक समयतक कांग्रेसको प्रमुख रूपसे एक राजनीतिक दल बननेसे नहीं रोकना चाहिए, इसीलिए मैंने पण्डितजीको पत्र लिखा।[१] पर जबतक कि वह स्वयं भी उसी मतके न हों, किसी भी कांग्रेसीको मेरे इस निर्णयके अनुसार नहीं चलना चाहिए। यह केवल मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है; और चूँकि मैं यह नहीं मानता कि कोई भी दूसरा उसे किसी भी रूपमें माननेको बाध्य है, मैंने सोचा कि इस समय उसको प्रकट करनेसे स्वराज्यदलको बल मिलेगा और इसीलिए मैंने बिना किसी हिचकके वह पत्र लिख दिया। जहाँतक आपका सम्बन्ध है, अपने यहाँकी परिस्थितियोंको तो आप जानते ही हैं; इसलिए अगर आपको ऐसा लगे कि स्वराज्यदलको आपके अप्रत्यक्ष समर्थन देनेका अर्थ मैं स्वराज्यवादियोंके व्यक्तिगत विचार और व्यवहारको समर्थन ना लगा सकता हूँ तो आप स्वराज्यदलके विरोधमें कुछ भी न कहनेके अपने अटल निश्चयकी रक्षा करते हुए कांग्रेससे अपना सम्बन्ध-विच्छेद करनेमें जरा भी न हिचकें। इस बारेमें और अधिक 'यंग इंडिया' में देखिए।

आशा है कि एक अक्तूबरको आप बम्बईमें होंगे। इस बीच आप अपने विचार बताते हुए पत्र अवश्य लिखें। मेरे दाहिने हाथको आरामको आवश्यकता है इसलिए पिछले तीन दिनसे आशुलिपिककी सहायता ले रहा हूँ।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२३४०) की फोटो-नकलसे।

 

२६३. भाषण : क्रिस्टोदास पालकी पुण्यतिथिपर[२]

२४ जुलाई, १९२५

सभापति महोदय और दोस्तो,

देरीसे पहुँचनेके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ, पर आपको यह तो पता ही है कि आजकल मेरे सम्मुख कितनी कठिनाइयाँ हैं। मेरे पास ऐसा एक भी मिनट नहीं है जिसे मैं अपना कह सकूँ और इसी कारण यह विलम्ब हुआ। मैं कार्यक्रममें रुकावट डालनेके लिए आपसे तथा श्री वर्ड्सवर्थसे भी जिनके भाषणको बीचमें रोककर मुझे समय दिया गया, क्षमा-याचना करता हूँ। मैं अपने देशवासियों तथा अन्य लोगोंका, जो मेरी स्थितिको देखते हुए मुझे सब जगह इस प्रकारकी सुविधाएँ देते हैं, अत्यन्त आभारी हूँ।

मैं यह मानता हूँ कि क्रिस्टोदासके बारेमें मुझे बहुत कम मालूम है। मेरे जीवनका स्वर्णकाल भारतसे बाहर आफ्रिकामें बहुत ही व्यस्ततामें बीता है तथा भारतमें क्या हो रहा है इसकी जानकारी रखनेमें मैं असमर्थ रहा। यद्यपि यह आत्मस्वीकृति

  1. देखिए "पत्र : मोतीलाल नेहरूको", १९-७-१९२५।
  2. यह सभा क्रिस्टोदास पालकी ४१ वीं पुण्यतिथिके अवसरपर यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट, कलकत्तामें आयोजित हुई थी।