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भाषण : क्रिस्टोदास पालकी पुण्यतिथिपर

बड़ी ही अपमानजनक है, परन्तु आपके सामने मुझे अपना यह अज्ञान स्वीकार करना ही चाहिए। इसके साथ ही यहाँ इस समारोहमें आमन्त्रित किये जानेपर मैं अपने-आपको सम्मानित हुआ अनुभव करता हूँ। मेरे लिए यह एक प्रसन्नताका विषय है कि मुझे आप लोगोंके साथ अपने एक महान् देशवासीकी स्मृतिमें श्रद्धांजलि अर्पित करनेका मौका मिला। उनके पौत्रने कृपा करके उनकी रचनाओंसे सम्बन्धित कुछ साहित्य मुझे दिया और अपने कुछ खाली समयमें कल मैं उन्हें देख गया। उनके लेखोंमें एक जगह स्वराज्यसे सम्बन्धित एक अनुच्छेद मेरे सामने आया। मुझे यह माननेमें तनिक भी संकोच नहीं कि अपने उस कठिन समयमें इस महान् व्यक्तिने वे सब बातें सोच ली थीं जिन्हें कार्यरूप देनेके लिए आजकल हम यथासम्भव अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। उनकी रचनाओंमें मैंने अन्य विषयोंके सम्बन्धमें भी उनके विचार पढ़े। अपनी युवावस्थामें मैं इतना जानता था कि वे अपने समयके एक महान् पत्रकार तथा एक निर्भीक देशभक्त थे। पर उनकी निर्भीकतामें परिष्कृत और शिष्ट विनम्रताका संयोग था; उन्होंने जो-कुछ भी लिखा उसमें कहीं भी कटुताका समावेश नहीं होने दिया। वर्तमान पीढ़ीको स्वतन्त्रता प्राप्तिके अपने संघर्षके लिए उस महान् आत्मासे मिले इस सन्देशको गाँठमें बाँधकर रखना चाहिए। हमें उनकी निर्भीकता और नम्रताका अनुकरण करना चाहिए; क्योंकि नम्रताके बिना निर्भीकता मात्र गाल बजाना है।

जो युवक यहाँ उस महान् देशभक्तका सम्मान करनेको इकट्ठे हुए हैं, उन्हें उनके जीवनका यह एक पाठ याद रखना चाहिए कि उन्होंने अपने अन्तिम समय तक नम्रताको कभी नहीं छोड़ा। उसके विपरीत हमें उनकी स्मृतिको इसलिए भी सँजोये रखना चाहिए कि उन्होंने इस सत्यको भी कभी नजरअन्दाज नहीं किया कि जिस व्यक्तिको विरोधियोंसे काम लेना है तथा जिसे अनिच्छुक लोगोंसे स्वतन्त्रता प्राप्त करनी है, उसे और भी शिष्ट और नम्र बनना चाहिए। इसी बातको मैं अपने शब्दोंमें कहूँ तो अहिंसायुक्त निर्भीकता ही सच्ची निर्भीकता है। प्राचीन ऋषिमुनियों द्वारा दिये गये उस एक शब्दमें मैंने सारे गुणोंको समाविष्ट कर लिया है। यदि यह सत्य है कि हिन्दूधर्म अहिंसासे संसिक्त है तब जीवनके प्रत्येक कार्यमें हमें इसे सर्वोच्च स्थान देना चाहिए।

मेरे बाद आनेवाले वक्ता जो उनके जीवनसे अधिक सम्बद्ध रहे हैं, निस्सन्देह उनके अन्य गुणोंके बारेमें आपको बहुत-सी बातें बतायेंगे। पर मेरी तुच्छ रायमें उनकी असंख्य विशेषताओंमें से कोई ऐसी विशेषता नहीं बता सकेंगे जैसी कि मैंने आप लोगोंको बताई है। उसे आप जीवनमें उतार सकते हैं और सँजोकर रख सकते हैं। उस महान् व्यक्तिकी स्मृतिमें हमारा यहाँ इकट्ठा होना एक उत्तम बात है पर यह और भी उत्तम हो, यदि हम उनके गुणोंको, आंशिक तौरपर ही सही अपने जीवनमें उतार लें।

ईश्वर आपको और मुझे ऐसा करनेकी शक्ति दे जिससे हम अपने कामको और अधिक सुचारू ढँगसे कर सकें।

[अंग्रेजीसे]
फॉरवर्ड, २५-७-१९२५
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