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२६७. विविध

दृश्य सेवा बनाम अदृश्य सेवा

एक मित्र लिखते हैं :[१]

यह विचारसरणी है तो बिलकुल उचित; परन्तु यह मेरे लेखसे उत्पन्न नहीं होनी चाहिए थी। जानमें या अनजानमें हम सब मुमुक्षु हैं। परन्तु मैंने उस लेखमें सिर्फ सेवकोंकी सेवाके मूल्यका विचार किया है। साथ ही मैंने प्रसंगोपात्त इस बातपर भी विचार किया है कि आजकल लोगोंको किस प्रकारकी सेवा सुहाती है। दुनिया सच्चे संन्यासियोंको शायद ही पहचान पाती है। वे तो अदृश्य रहकर अपना काम करते हैं। उनको दृष्टिमें स्तुति और निन्दा तुल्य हैं अथवा यों कहें कि वे स्तुतिसे बहुत बचते हैं। मैंने उस लेखमें उस प्रकारके लोगोंका विचार ही नहीं किया है। फिर जो स्तुतिके लिए ही सेवा करते हैं उनकी सेवाकी कीमत नहींके बराबर है। ऐसे लोगोंके लिए तथा संन्यासी कहे जानेवाले लोगोंके लिए भी कीर्तिस्तम्भ स्थापित हुए हैं और स्थापित होते रहेंगे। परन्तु यहाँ तो मैंने देशबन्धु-जैसे व्यक्ति की निःस्वार्थ सेवाका ही उल्लेख किया था और यह भी कहा था कि इस युगमें तो वे लोग पूजे जाते हैं जो लोगोंकी स्वतन्त्रताकी रक्षा करनेके लिए खड़े होते हैं। ऐसे लोग अदृश्य रहें तो उनका काम शायद ही चले। कहनेका तात्पर्य यह है कि राजनैतिक क्षेत्रमें काम करनेवाले सेवक अदृश्य रह ही नहीं सकते। उन्हें हजारोंके सम्पर्कमें आना ही पड़ता है। इसलिए दुनिया उनकी सेवाकी कीमत आँके बिना नहीं रह सकती। हमें सिर्फ एक बात जान लेनी चाहिए। पाखण्डी लोग भी पाखण्डके बलपर अपने कीर्तिस्तम्भ बनवा गये हैं; इसलिए हमें चाहिए कि हम कोई भी काम कीर्तिके लोभसे न करें। हमें कीर्तिसे बचना चाहिए। परन्तु हम जब देशबन्धु-जैसे शुद्धभावी सेवकपर लोगोंको न्यौछावर होते हुए देखते हैं तब हम समझते हैं कि लोगोंमें पारमार्थिक सेवाको समझनेकी शक्ति बहुत है। इस सम्बन्धमें उनका अन्दाज जहाँ कभी-कभी गलत होता है, वहाँ वह ज्यादातर ठीक भी होता है। अहिंसात्मक और सत्यमय देश-सेवा आजका धर्म है। हमें उसमें स्तुति और निन्दाके विषयमें तटस्थ रहकर योग देना चाहिए। {{C|

स्वयंसेवकका धर्म

एक स्वयंसेवक इस प्रकार लिखते हैं[२]

मैंने इसमें से एक अंश, जिसमें कुछ तथ्य दिये गये हैं निकाल दिया है। यह चेतावनी बिलकुल उचित है। इस चिट्ठीका सारांश यह है कि मनुष्यको लोभ नहीं

  1. यहाँ नहीं दिया गया है। पत्र प्रेषकने नवजीवन, २८-६-१९२५ में छपे गांधीजीके "देशबन्धु चिरंजीव हों!" शीर्षक लेखपर कुछ टिप्पणी की थी।
  2. यहाँ नहीं दिया गया है।