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२७६. अपील : अखिल बंगाल देशबन्धु-कोषके लिए

अखिल बंगाल देशबन्धु स्मारक समितिने आखिर चन्दा लेना बन्द करनेके लिए अन्तिम तारीख ३१ अगस्त निश्चित कर दी है। मैं जनताको बतलाना चाहता हूँ कि पहले ऐसी कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई थी। अन्तिम तारीखको अन्तिम ही होना चाहिए और उसे बदला नहीं जा सकता। फिर भी मैंने सुझाव दिया था कि हमें पहली जुलाईतक या उससे पहले पूरे १० लाख एकत्र करनेके लिए प्रयत्न करना चाहिए। इसमें हम असफल रहे, किन्तु मैं यह नहीं कह सकता कि यह प्रयत्न किसी कसरके कारण हुआ है। हमारी इस असफलताका कारण संगठनका अभाव है। यदि हम इस सप्ताहके समाप्त होनेसे पहले ६ लाख रुपये एकत्र करनेमें सफल हो गये तो यह देशबन्धुकी स्मृतिके प्रति हमारी एक श्रेष्ठ श्रद्धांजलि होगी। इस सप्ताहके अन्ततक ६ लाख एकत्र करनेकी अवधिके ५ सप्ताह पूरे हो जायेंगे, इससे प्रति सप्ताह सवा लाखसे कुछ कम या करीब १७ हजार प्रतिदिन एकत्र करनेका औसत पड़ता है।

कुछ अधिक परिश्रम करनेपर भी, यद्यपि उसे सन्तोषजनक संगठन तो कदापि नहीं माना जा सकता, हम उपर्युक्त औसतके हिसाबसे रुपया इकट्ठा करनेमें सफल नहीं होंगे, क्योंकि बड़ी-बड़ी रकमोंका अधिकांश भाग तो आ ही चुका है। स्मारक समितिने पिछले अनुभवके कारण ही चन्दा प्राप्त करनेकी अन्तिम तारीख ३१ अगस्त निश्चित ही थी। उस राशिको एकत्र करनेके लिए जिसे कि बंगालके लिए तथा देशबन्धुकी पवित्र यादगारको स्थायी बनानेके लिए एक क्षुद्र-सी राशि समझना चाहिए, यह काफी पर्याप्त समय है। लोग जानते होंगे कि तिलक स्वराज्य कोषके लिए धन एकत्र करनेके लिए केवल ३ मासका समय निश्चित किया गया था। यह मानकर कि ६ लाख रुपये इस मासके अन्तसे पहले ही एकत्र हो जायेंगे, ४ लाख एकत्र करनेके लिए ३२ दिन बचेंगे। इस हिसाबसे ठीक १२,५००रु० प्रतिदिन एकत्र करनेका औसत आता है। यदि हम आगामी मासके अन्ततक इतने रुपये एकत्र कर लें, तो एकत्र करनेका हमारा औसत कदापि कम न माना जायेगा। जो लोग चन्दा एकत्र कर रहे हैं और जिनको बंगालकी प्रतिष्ठा तथा स्मारककी सफलताकी फिक्र है, मुझे आशा है कि वे दैनिक औसत अर्थात् १२,५०० रुपये प्रतिदिन उपलब्ध करनेको अपनी प्रतिष्ठाका सवाल समझेंगे। मैं बंगाल-भरके स्कूलों और कालेजोंके प्रधानाचार्योंका उनके कर्त्तव्यकी ओर ध्यान आकर्षित करता हूँ। मैं जानता हूँ कि स्कूल जानेवाले लड़के और लड़कियाँ अपना थोड़ा-बहुत योग देनेके लिए उतने ही उत्सुक हैं, जितने कि अन्य कोई। वे केवल इस बातकी प्रतीक्षामें हैं कि उनसे अनुरोध किया जाये। मुझे यह भी मालूम है कि बहुत-से जमींदारोंने जिनपर देशबन्धुका कुछ कम उपकार नहीं है, अभीतक अपना चन्दा नहीं भेजा है, क्या मैं उनसे यह सविनय कह सकता हूँ कि वे अपना चन्दा बिना माँगे ही भेजनेकी कृपा करें?