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भाषण : आंग्ल-भारतीयोंकी सभामें

योजनामें आंग्ल-भारतीयोंपर विपरीत प्रभाव पड़ेगा; यदि ऐसा हुआ तो आपका रुख क्या होगा?

यदि यह बात मेरे हाथमें होगी तो मैं एक भी आंग्ल-भारतीयको नहीं हटाऊँगा।

आपने कांग्रेस स्वराज्यवादियोंको सौंप दी है। फिर भी आप सर्वदलीय कार्यक्रमकी बात करते हैं। हम आंग्ल-भारतीय स्वराज्यवादियोंके बाधा डालनेके हथकण्डोंका साथ कैसे दे सकते हैं?

मैंने कांग्रेस स्वराज्यवादियोंको नहीं सौंपी है। मैंने तो उनको उस समझौतेसे मुक्त कर दिया है जो उनके और मेरे बीच हुआ था। यदि मैं चाहूँ तो भी मैं कांग्रेसको किसीके हाथमें सौंप नहीं सकता। इसका अर्थ केवल यह है कि प्रत्येक सदस्य मताधिकारको बदलवाने या न बदलवानेके सम्बन्धमें स्वयं निर्णय कर सकता है। कांग्रेस, जो बेलगाँवमें राजनीतिक संस्था बना दी गई थी, अब प्रधानतः राजनीतिक संस्थाके रूपमें परिवर्तित कर दी गई है। इसका परिणाम यह होगा कि उसमें अब राजनीतिक प्रस्ताव रखे जा सकेंगे और उन लोगोंके मार्गमें से जो कांग्रेसमें उसके अराजनीतिक संस्था होनेके कारण सम्मिलित नहीं हो पाते थे, प्रतिबन्ध हट जायेगा। वह स्वराज्यवादियोंकी संस्था नहीं रहेगी, वह प्रधानतः राजनीतिक संस्था बन जायेगी। यह सही है कि आज उसमें स्वराज्यवादियोंकी प्रधानता है; किन्तु उसका कारण यह है कि दूसरे लोग उससे अलग रहे हैं, और यदि उसमें उनकी अधिकता है तो इसका कारण यह है कि दूसरोंके पास कोई संगठन नहीं है। जहाँतक रुकावट डालनेका सम्बन्ध है, यह बात अनुचित हो सकती है, उचित भी हो सकती है। लेकिन आप निश्चय ही कांग्रेससे अलग रहकर स्वराज्यवादियोंको प्रभावित नहीं कर सकते। आप बड़ी संख्यामें कांग्रेसमें शामिल हों और यदि आप चाहें तो उसकी नीतिमें परिवर्तन करा लें।

एक प्रश्नमें उनसे पूछा गया कि जब आंग्ल-भारतीयोंको आनुपातिक प्रतिनिधित्वके अन्तर्गत कुछ मिलेगा ही नहीं, तब श्री गांधी उनके हितोंकी रक्षा कैसे कर सकते हैं। इसके उत्तरमें श्री गांधीने अपने स्वैच्छिक समझौतेका प्रस्ताव और भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा :

स्वराज्यकी योजना बनानेसे पहले मैं आपसे पूछूँगा कि आप क्या चाहते हैं। योजनाकी शर्तोंका दस्तावेज सार्वजनिक होगा। यदि हम मान लें कि योजनाके पीछे पर्याप्त लोकमत रहेगा और ईमानदारी बरती जायेगी तो आंग्ल-भारतीयों और अन्य अल्पसंख्यकोंके साथ सम्भवतः अन्यायपूर्ण व्यवहार नहीं किया जा सकेगा।

श्री गांधीसे यह प्रश्न पूछा गया कि उन्होंने श्रीमती बेसेंटके 'भारतीय राष्ट्रमण्डल विधेयक' (कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल) सम्बन्धी ज्ञापनपर हस्ताक्षर क्यों नहीं किये। इसके उत्तरमें उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कह दिया था कि यदि मुझे लॉर्ड बर्कनहेडका यह तार मिल जायेगा कि ज्ञापनपर मेरे हस्ताक्षर करनेके बाद विधेयक स्वीकार कर लिया जायेगा, तो मैं अपने हस्ताक्षर तारसे भेज दूँगा। लेकिन