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भाषण : आंग्ल-भारतीयोंकी सभामें

अधिकार नहीं लेंगे। ये तो हमें पतित और दरिद्र बनाते हैं।' मैं चाहता हूँ कि आप जनसाधारणकी दृष्टिसे विचार करें; आंग्ल-भारतीय अधिकारियों और धर्माचार्योकी दृष्टिसे नहीं। आप लोगोंमें जो उच्चवर्ग है वह यूरोपीयोंमें मिलना चाहता है; किन्तु उसकी यह आकांक्षा पूरी होना असम्भव है। इसके विपरीत निम्नवर्ग इच्छा न होते हुए भी भारतीयोंमें मिल जायेगा। इस प्रकार अनिच्छापूर्वक मिलनेसे कोई लाभ नहीं हो सकता। आप पूछेंगे कि स्वेच्छासे कैसे मिलें? मैं यह तो नहीं चाहता कि आप अपनी सुरक्षाके सम्बन्धमें कोई झूठा खयाल बनाकर उसमें डूब जायें; मैं तो आपसे यह कहूँगा कि आप अपने इस अस्वाभाविक रहन-सहनको त्याग दें। यदि आपके भारतीय हो जानेके बाद स्वयं भारतीय आपको धोखा दें तो आप भारतीयोंके विरुद्ध विद्रोह कर दें; किन्तु पुनः यूरोपीय बननेकी कामना न करें। मेरा अनुरोध है कि आपकी संख्या बहुत कम है, आप इस खयालसे आतंकित न हों। यह कभी-कभी एक विशेष लाभ होता है। मैंने तो इतनी बार कहा है कि मुझे केवल अकेले रह जाना भी पसन्द है, क्योंकि यह कृत्रिम बहुमत, जो मेरे प्रति जनसाधारणकी श्रद्धाका परिणाम है, मेरी प्रगतिके पथमें एक रोड़ा है। यदि मेरे पथमें यह रोड़ा न होता तो मैं आज ही सरकारकी सत्ता माननेसे इनकार कर देता। मैं अन्धा पूजाभाव पाकर तो गर्वसे फूल सकता हूँ और न पूजाभाव प्राप्त करनेके लिए अपने सिद्धान्तका रंचमात्र त्याग ही कर सकता हूँ। यहाँ अंग्रेजोंकी संख्या अत्यल्प है। उनको यह भय नहीं है कि वे हड़प लिये जायेंगे। यह सच है कि उनकी सुरक्षाकी भावनाके पीछे संगीनोंका बल है। किन्तु यदि उन्हें समय रहते चेतावनी न दी गई तो यह बल उन्हें बर्बाद कर देगा। आप या तो अपने आत्मबलपर निर्भर रह सकते हैं या शस्त्रबलपर। किन्तु आप अपने वर्तमान पतनको तो किसी भी हालतमें सहन नहीं करना चाहेंगे।

उनसे एक प्रश्न यह किया गया कि क्या आप आशावादी हैं और यदि आशावादी हैं तो आप भविष्यके सम्बन्धमें निराश क्यों हैं, क्योंकि लॉर्ड बर्कनहेड तो सदा पदारूढ़ नहीं रहेंगे? इसके उत्तरमें उन्होंने कहा:

मैं तो अदम्य आशावादी हूँ; क्योंकि मैं अपने ऊपर विश्वास रखता हूँ। यह बात बहुत बड़ी गर्वोक्ति लगती है; क्या नहीं लगती? किन्तु मैं यह अत्यन्त ही नम्रतापूर्वक कहता हूँ। मेरा विश्वास है कि ईश्वरकी शक्ति सर्वोच्च है। मैं सत्यमें विश्वास करता हूँ; अतः मुझे देश या मानवजातिके भविष्यके उज्ज्वल होनेमें कोई सन्देह नहीं। लॉर्ड बर्कनहेड कुछ भी कहें, मैं तो ईश्वरमें विश्वास करता हूँ और वह मनुष्योंकी अति-चतुराईको विफल बनाता रहता है। वह जबर्दस्त जादूगर है और मैंने अपने-आपको उसीके हाथों अर्पित कर दिया है। किन्तु वह काम लेनेमें बड़ा सख्त है। आप अपनी पूरी शक्तिसे काम करेंगे, तभी वह आपको स्वीकार करेगा। मेरी दृष्टिमें सरकारमें परिवर्तन होनेका कोई अर्थ नहीं है। मैं तो आशावादी हूँ; क्योंकि मैं अपने-आपसे कई चीजोंकी अपेक्षा रखता हूँ। मैं जानता हूँ कि वे मेरे पास नहीं हैं, क्योंकि मैं अभी पूर्ण नहीं बन पाया हूँ। यदि मैं पूर्ण मनुष्य होता तो आपको

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