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टिप्पणियाँ

एक जातिका दूसरीके साथ जो अनुपात है उसका ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व करते हों। फिर भी साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्वको कानूनन मान्यता न दी जाये। मुसलमानोंको कितने अनुपातमें प्रतिनिधित्व दिया जाता है, इसकी चिन्ता मुझे कभी नहीं रही। मैं केवल एक चीजसे बचना चाहता हूँ और वह है भेदभावको कानूनी मान्यता देना। मैं नहीं चाहता कि सरकार विभिन्न जातियोंके प्रतिनिधित्वको निश्चित करे और उसके अमलकी व्यवस्था करे। हममें आपसमें चाहे फूट भी हो, अगर हममें सच्ची राष्ट्रीय चेतना है तो हम अवश्य ही सरकारके सम्मुख एक मत होकर, एक स्वरसे अपनी बात रख सकते हैं। सरकारकी दृष्टिमें मुसलमान, हिन्दू, ईसाई, सिख, पारसी, ब्राह्मण या अब्राह्मणका कोई भेद नहीं रहना चाहिए। उसके लिए तो हम सबको राष्ट्रवादी ही होना चाहिए। सम्भव है, यह हल सभीको मंजूर न हो; किन्तु यह तो नहीं कहा जा सकता कि मैं प्रेम और एकताकी बात करता हूँ, पर कोई ठोस योजना पेश नहीं करता। मैं इस योजनाको स्वीकार करानेके लिए आन्दोलन नहीं करता, क्योंकि मैंने यह बात मान ली है कि दोनों जातियोंके नेताओंपर मेरा प्रभाव नहीं रहा है।

कांग्रेसमें भ्रष्टाचार

मेरे पास हफ्ते-दर-हफ्ते शिकायत-भरे ऐसे पत्र आते रहते हैं जिनमें कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंमें फैले हुए भ्रष्टाचार और अनुशासन हीनताकी और कुछ स्वार्थसेवियों द्वारा संस्थाका इस्तेमाल किये जानेकी शिकायतें रहती हैं। इस तरहका सबसे हालका पत्र देखिये। पत्रपर लेखकके हस्ताक्षर बाकायदा मौजूद हैं :

...कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष...ने कांग्रेसके लगभग १,३०० सदस्य बनाये, लेकिन उन्होंने न तो चन्दा जमा कराया और न ही कोई हिसाब दिया।
मन्त्री और...उचित-अनुचितका कोई खयाल किये बिना कमेटीकी वार्षिक बैठक बहुत दिनोंसे इसलिए नहीं बुला रहे हैं कि कहीं उनको पदसे हटा न दिया जाये। नियमोंकी कोई परवाह न करते हुए, मंजूरी लिये बिना ही अदायगियाँ कर रहा है;...काफी बदनाम आदमी है वह चन्दा इकट्ठा करता है पर ऊपरके अधिकारियोंको उसका कोई हिसाब नहीं देता।

उपर्युक्त अभियोगपत्रमें कई अन्य आरोप लगाये गये हैं। यह शिकायत भी आई है कि देशमें कई जगहोंपर कांग्रेस कमेटियाँ जनतासे प्राप्त धनको कुछ ऐसी मदोंपर खर्च करती रहती हैं जिनपर वह खर्च नहीं कर सकती। आशा है कि जिम्मेदार कांग्रेसी लोग अपने-अपने संगठनोंकी जाँच करेंगे और भ्रष्टाचार या गबन दिखाई पड़नेपर उसका भण्डाफोड़ करने तथा उसे दूर करनेका प्रयत्न करेंगे।

देशबन्धु और हाथकताई

श्रीयुत प्रिय रायने एक नई किस्मका चरखा तैयार किया है और वे उसे बिलकुल निर्दोष बनानेका प्रयत्न कर रहे हैं। चरखके बारेमें उन्होंने लिखा है :

मेरी इच्छा है कि मैं आपको यह भी बतला दूँ कि देशबन्धु मेरे चरखके बारेमें क्या सोचते थे और उसे किस रूपमें देखना चाहते थे। मैंने उनको