पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/५०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४७४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और उनका राष्ट्रीय जीवनमें अपना एक विशिष्ट स्थान है। अन्य लोग चाहे कुछ भी कहें, किन्तु मैं इस बातकी तरफसे अपनी आँखें नहीं मूँद सकता कि शासकोंके मनपर स्वराज्यदलके अनुशासनबद्ध प्रतिरोधका सिक्का बैठा। मेरे लिए इस कार्य-मैं सहायता देनेका सबसे अच्छा ढंग यही हो सकता है कि मैं उनके रास्तेमें से हट जाऊँ और अपनी सारी शक्ति एकमात्र रचनात्मक कार्यमें लगा दूँ। मैं चाहता हूँ कि मैं इसे कांग्रेसकी सहायतासे और उसीके नामपर करूँ, किन्तु वहींतक करूँ जहाँतक भारतका शिक्षितवर्ग मुझे उसकी अनुमति दे।

मैं इस बात को मानता हूँ कि भारतके शिक्षित लोग ही कांग्रेसको गति देंगे, न कि मैं या वे जिन्होंने फिलहाल राजनैतिक दृष्टिसे विचार करना बन्द ही कर रखा है। मेरी रायमें हमारे राष्ट्रीय विकासमें दोनोंके लिए स्थान है और हर दल अपने-अपने दायरेमें रहता हुआ एक दूसरेके कार्यका पूरक और सहायक हो सकता है। चरखे और खादीमें मेरी श्रद्धा पूर्ववत् है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें देशके सबसे ज्यादा आगे बढ़े हुए नौजवानोंकी शक्तियाँ लग सकती हैं। यह एक ऐसा उद्योग है जिसके लिए एक नहीं, सौ नहीं, बल्कि हजारों स्त्री-पुरुषोंके एकाग्रचित से लगनेकी आवश्यकता है। मैं चरखे और खादीकी आवश्यकता या उपयोगिताके विवादमें पड़ता नहीं चाहता। अब समय आ गया है जब खादीके सम्बन्धमें जो-जो बातें मैंने कही हैं उनपर अमल करके दिखा दिया जाये और ऐसा करनेमें मैं सब इच्छुक लोगोंका सहयोग और सद्भाव प्राप्त करना चाहता हूँ। यह तभी हो सकता है जब मैं चरखेकी प्रवृत्तिको कांग्रेसके राजनैतिक अखाड़ेसे अलग कर लूँ। अतएव चरखा और खद्दर कांग्रेसमें अपने उस स्थानपर कायम रहेंगे जो कि राजनैतिक वृत्तिके लोग खुशीके साथ उसे दे सकते हैं। ऐसी अवस्थामें यदि अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीकी आगामी बैठकमें मेरी सलाह मान ली गई तो कांग्रेसके मार्गमें से राजनैतिक प्रचारकी रुकावट बिलकुल दूर हो जायेगी। और फलतः स्वराज्यदल अपने पृथक् संगठनके द्वारा नहीं, बल्कि खुद कांग्रेसके द्वारा ही अपना काम करेगा और यह वह किसी नये करारके अन्तर्गत नहीं, बल्कि अपने और मेरे बीच मौजूद इस समझौतेके तोड़ दिये जानेके और उसके फलस्वरूप कॉंग्रेसके संविधानमें और कांग्रेसके इस समझौतेको अमलमें लाने-वाले प्रस्तावमें सुधार कर दिये जानेके कारण करेगा। उस समझौतेने असहयोगको स्थगित करके तमाम राजनैतिक दलोंके लिए कांग्रेसका दरवाजा खोल दिया था। अब उस समझौतेके तोड़ दिये जानेपर वह दरवाजा और विस्तृत हो जायेगा, क्योंकि अब राजनैतिक वृत्तिके लोगोंके मार्गमें से कांग्रेसकी प्रवृत्तिको रचनात्मक कार्यक्रमतक ही मर्यादित रखनेकी बाधा हट जायेगी। वे स्वराज्यदलमें शामिल होनेसे हिचकते थे और मानते थे कि वे कांग्रेसमें अपनी शक्ति और योग्यताका पर्याप्त उपयोग नहीं कर सकते। परन्तु अब इस प्रतिबन्धके दूर किये जानेपर वे चाहें तो पूरे उत्साहसे कांग्रेसमें शरीक हो सकते हैं, कांग्रेसके मंचसे किन्हीं भी राजनैतिक प्रस्तावोंको उपस्थित कर सकते हैं और स्वराज्यवादियोंसे टक्कर लेकर उनपर तथा देशपर अपना प्रभाव डाल सकते हैं।