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खेती बनाम खद्दर

सहायता मिलती है, क्योंकि उस सेवाकी कद्रदानीकी कसौटी सेवित जनोंकी सहायता ही है। खुद कांग्रेसका अस्तित्व भी इसी बातपर अवलम्बित है कि उसके द्वारा एक स्थानिक आवश्यकताकी पूर्ति होती है। यह उस सरकारकी तरह नहीं है जो ऊपरसे लाद दी जाती है, और इसलिए जिनपर शासन करना चाहती है उनकी सहायतापर निर्भर नहीं होती। खादी-सेवा और शिक्षा-सेवा दोनोंके सम्बन्धमें हम यह मानकर चल रहे हैं कि सम्बन्धित लोगोंको लगातार काम करते जाना है और सेवा करनेकी अपनी योग्यता बढ़ाते जाना है। मैंने स्वयं अपने मार्गदर्शनके लिए सामान्यतः यह मान लिया है कि यदि इन दोनोंमें से किसी भी प्रवृत्तिके लिए स्थानिक सहायता नहीं मिलती तो इसका कारण उन सेवाकार्योंमें लगे हुए कार्यकर्ताओंमें कौशल या योग्यताका अभाव होता है। मेरे सामने ऐसे एक भी मनुष्यकी मिसाल नहीं है जो पात्र हो; किन्तु जो फिर भी भूखों मरा हो। मेरे सामने कांग्रेसके ऐसे कार्यकर्ताओंकी मिसालें मौजूद हैं जिनकी परिस्थिति विकट है, परन्तु जो वृत्तिके अनिश्चित होनेपर भी ईमानदारीसे जिन्दगी बसर कर रहे हैं। मुझे अन्देशा है कि इस स्थितिका सामना हम सबको क्रमशः और-और ज्यादा करना पड़ेगा, और भले ही हममें से कुछ लोगोंने अभीतक राष्ट्रीय जीवनमें आई हुई सादगी और सख्तीको बर्दाश्त करना नहीं सीखा हो और भले ही कुछ अपनी पुरानी आरामतलबीकी आदतोंकी वजहसे अपेक्षित सादगी और सख्तीको बर्दाश्त करनेके नाकाबिल हों, किन्तु मैं समझता हूँ कि यह बात तो स्पष्ट हो ही गई होगी कि अखिल भारतीय देशबन्धु-स्मारक संकटग्रस्त लोगोंको सहायता देनेवाली या कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंको धन्धा देनेवाली संस्थाका रूप क्यों नहीं ले सकता। हाँ, यह मानी हुई बात है कि इस स्मारकके वर्तमान उद्देश्यमें ये दोनों बातें अप्रत्यक्ष रूपसे आ जाती हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ३०-७-१९२५
 

२८२. खेती बनाम खद्दर

एक एम॰ ए॰, बी॰ एल॰ लिखते हैं:[१]

इस पत्रमें बेकारीका जो सवाल उठाया गया है उसपर मैंने दूसरी जगह विचार किया है। लेकिन चूँकि इस पत्रलेखकके अतिरिक्त अन्य लोगोंने भी खद्दरके सिलसिलेमें खेतीके प्रश्नको उठाया है, इसलिए मेरा अपने इस वकील पत्रलेखकके अनुरोधपर विचार करना शायद ठीक ही होगा।

मैं सबसे पहले उनको यह बता दूँ कि उनका यह खयाल गलत है कि उन्हें अपने खेती सम्बन्धी प्रयोगको 'आश्चर्यजनक रूपसे सफल' बनानेके लिए केवल दो हजार रुपये ऋण लेनेकी ही जरूरत है। असल बात यह है कि खेती के लिए भी

  1. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें एक वकीलने गांधीजीसे बेरोजगारीकी समस्या हल करनेके उद्देश्यसे खेती और लघु उद्योगोंमें लगानेके लिए एक करोड़ रुपया इकट्ठा करनेका अनुरोध किया था।