पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/५२१

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परिशिष्ट

महत्त्वपूर्ण अध्यायका सूत्रपात करेगा। उसके परिणामस्वरूप आपके ध्वजके नीचे समूचा भारत आ खड़ा होगा; सभी स्वराज्यवादी, लिबरलपन्थी तथा राष्ट्रवादी, वास्तवमें भारत माताके सभी सपूत मिलकर आपके उद्देश्यके प्रति सच्चे रहनेकी एक बार फिर प्रतिज्ञा करेंगे। इसमें यदि कुछ लोग पीछे रह भी जायेंगे तो वही जो चाँदीके चन्द टुकड़ों या कुछ तमगोंके लिए अपने भाइयोंका साथ छोड़ सकते हैं। इतिहास ऐसे व्यक्तियोंको कभी नहीं गिना और न वह कभी गिनेगा ही। आप अपनी एक ही घोषणासे ग्रेट ब्रिटेन और एकताबद्ध भारतके बीचकी मौजूदा स्थितिको स्पष्ट कर देंगे; आप स्पष्ट कर देंगे कि भारतके लिए उत्तरदायी शासनकी व्यवस्था करनेके प्रश्नपर कौन-सा पक्ष अधिक सच्ची भावनासे काम कर रहा है। ग्रेट ब्रिटेन सचमुच ही भारतको उत्तरदायी शासनके मार्गपर आगे बढ़ाना चाहता है या वह अपने जी हुजूरोंको ही तरह-तरहसे पुरस्कृत करना चाहता है? फरीदपुरमें दिये गये देशबन्धुके अन्तिम सन्देशकी आपकी इस पुष्टिके फलस्वरूप पुनः एकताबद्ध हुए देशभक्तोंके आगामी सम्मेलनके मंचसे आप इसी एक प्रश्नका उत्तर सरकारसे माँगेंगे। ग्रेट ब्रिटेनकी ईमानदारीकी कसौटी यही होगी कि वह मंत्रियोंके मार्गमें आड़े आनेवाली छोटी-मोटी बाधाओंको दूर करने और एकताबद्ध भारतकी बिना मुकदमे नजरबन्दोंकी रिहाईकी माँगों पर कितनी तत्परतासे अमल करता है। और आपके नेतृत्वमें चलनेवाले हम लोगोंकी सत्यनिष्ठाकी कसौटी यह होगी कि इंग्लैंड द्वारा भारतकी दोनों माँगें स्वीकृत होनेके बाद हम 'सुधारों' को क्रियान्वित करनेमें कितना हार्दिक सहयोग देते हैं।

कृपया उन लोगोंकी बातोंपर कान मत दीजिए जो प्रतिष्ठाको लेकर लम्बी-चौड़ी बातें करते हैं। मुझे यकीन-सा है कि आपके कुछ अनुयायी आपसे कहेंगे कि आप इंग्लैंडके सामने कोई प्रस्ताव न रखें, क्योंकि उससे आपकी प्रतिष्ठापर आँच आयेगी। परन्तु मुझे आपपर पूरा भरोसा है और इसीसे मैं आश्वस्त हूँ कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठाका प्रश्न——जो अहम्मन्यतासे पीड़ित इस देशके लिए एक अभिशाप है——आपके सीधे-सच्चे जीवन-पथको कभी मोड़ नहीं सकता, न मोड़ पायेगा। अन्तमें मैं एक बार फिर आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इंग्लैंडको अपनी ईमानदारी सिद्ध करने और भारतको अपनी खोयी हुई एकता पुनः प्राप्त करनेका यह एक अवसर अवश्य दें।

बी॰ एस॰ चटर्जी

यंग इंडिया, ९-७-१९२५