पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/५२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

परिशिष्ट ३

डब्ल्यू़॰ एच॰ पिटका पत्र

प्रियवर श्री गांधी,

मैं आपको एक लम्बा-सा पत्र लिख रहा था कि तभी डाकिया आपका १६ तारीखका पत्र लेकर आया। पत्रके लिए धन्यवाद! आपका बड़ा सौजन्य है कि आपने बंगालमें अनेक और इतने महत्त्वपूर्ण कामोंमें व्यस्त रहते हुए भी मुझे पत्र लिखनेका समय निकाल लिया।

१. मुझे श्री केलप्पन नायरके नाम आपके उस तारकी प्रति मिल चुकी है, जिसमें आपने उनको वाइकोम मन्दिरके केवल पूर्वी द्वारपर धरना देनेकी सलाह दी है। मैं उसीके बारेमें आपको लिख रहा हूँ। मेरा खयाल था कि आपने पूरी स्थितिको और मेरे सुझावको गलत ढँगसे समझा है, परन्तु आपके पत्रसे मैंने देखा कि आपने उक्त सलाह अपने सामने मौजूद सभी तथ्योंपर पूरी तरहसे विचार करनेके बाद और अपने तईं कुछ समुचित कारणोंसे ही दी थी।

२. आप चाहते हैं कि सरकार सड़कोंके उपयोगके बारेमें एक बिल्कुल ही स्पष्ट घोषणा करे। आपको शायद यह मालूम नहीं है कि त्रावणकोरमें सम्राट्की ओरसे एक प्रख्यापन पहले ही जारी किया जा चुका है और उसे कानूनी सत्ता प्रदान की गई है। उसमें सभी सार्वजनिक सड़कोंको महाराजाकी प्रजाके लिए समान रूपसे सुलभ घोषित किया गया है। वह प्रख्यापन विस्तारित किया जा सकता है अथवा नहीं या न्यायालयोंने कभी भी प्रामाणिक तौरपर उसकी व्याख्या की है अथवा नहीं, यह बात सन्दिग्ध है। बड़े-बड़े कट्टर सनातनी लोग अब न्यायालयमें जाकर एक ऐसा आदेश निकलवानेकी कोशिश करनेकी बातें कर रहे हैं कि वाइकोम मन्दिरके आसपासकी सभी सड़कें अवर्ण हिन्दुओंके लिए बन्द कर दी जायें। मैं समझता हूँ कि उन्होंने ऐसा किया तो उनको सफलता नहीं मिलेगी और इस प्रश्नका सदाके लिए निबटारा हो जायेगा और जो भी हो, मेरी अपनी जानकारीके मुताबिक तो अभी दूसरा कोई प्रख्यापन जारी होनेकी सम्भावना नहीं है। और खुद मैं इसकी आवश्यकता भी नहीं समझता।

३. एक मुद्दा और है। इसका मैंने अभीतक आपसे उल्लेख नहीं किया है, मगर आपको इसपर गौर करना चाहिए। त्रावणकोरके अधिकारियोंको इस बातका ध्यान तो रखना ही पड़ेगा कि राज्य जिस धर्मको मानता है उससे सम्बन्धित परम्परागत पूजा और विधियोंका काम बिना किसी बाधाके विधिवत् सम्पन्न हो। वास्तवमें, कुछ अधिकारियोंने वचन दे रखा है कि यदि मन्दिरको जानेवाली सड़कोंके इस्तेमालके बारेमें कुछ हेरफेर कर दिया जाय तो भी उनके कारण सार्वजनिक पूजामें कोई