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परिशिष्ट

व्यवधान उपस्थित नहीं होगा। फिलहाल इस वचनको पूरा करनेमें कुछ कठिनाईका सामना करना पड़ रहा है और सचमुच यह वचन अभी हर मायनेमें पूरा भी नहीं किया जा सका है। यदि थोड़ा और समय मिले तो अधिकारी लोग सभी कठिनाइयों पर पार पा लेंगे, लेकिन उनको सावधान रहना पड़ेगा और फूँक-फूँककर ही कदम आगे बढ़ाना होगा।

ऐसी कोई कार्रवाई करनेका तो प्रश्न ही नहीं उठता, जिससे सार्वजनिक पूजामें आम तौरपर कोई बाधा खड़ी हो जाये। पूर्वी मार्गपर आपके स्वयंसेवकोंके अधिकारको लेकर तो वे सनातनी हिन्दू भी खतरा महसूस करने लगे हैं जो इस बातपर सहमत हो गये थे कि स्वयंसेवक जहाँतक आगे बढ़ चुके थे, वहाँ बने रहें । पूर्वी द्वारमें प्रवेश करनेकी आपकी इस मूक धमकीसे अधिकारियोंको भी परेशानी हो रही है। अधिकांश लोग इस बातको स्वतः सिद्ध मानते हैं कि आप वहाँ प्रवेश करनेमें पूर्णतः समर्थ हैं, लेकिन आगे बढ़ना तो क्या, आगे बढ़ने की धमकी देनेका भी यह उपयुक्त अवसर नहीं है।

मैं निस्संकोच भावसे स्पष्ट कह सकता हूँ कि पूर्वी मार्गपर धरना देना आपके अपने लक्ष्यके लिए अत्यन्त हानिकारक होगा और मैं पूरे आत्मविश्वासके साथ कहता हूँ कि अधिकांश स्थानीय लोकतन्त्रवादी लोग और सभी अवर्ण हिन्दू नेता मेरे इस कथनका समर्थन करेंगे। अधिकारियोंको शान्त वातावरणकी जरूरत है, क्योंकि ऐसे ही बातावरणमें वे उन सनातनी हिन्दुओंके साथ सफलतापूर्वक निबट सकते हैं जिनको अपने धर्म या समुदायके हितोंपर आँच आती दिखाई दे रही है। ऐसी हर चीज, जिससे वातावरणमें अविश्वास फैलनेकी सम्भावना है, प्रगतिके मार्गमें बाधक है, मैं आपकी इस बातकी कद्र करता हूँ कि सिद्धान्त और अनुशासनका तकाजा है कि स्वयंसेवकोंको पीछे नहीं हटना चाहिए, परन्तु मुझे इस बातपर शंका है कि क्या मुट्ठीभर स्वयंसेवकोंके नैतिक धर्मको बीस लाख अवर्ण हिन्दुओंके हितोंसे अधिक महव देना चाहिए। इसे देखते हुए, मैं आपके सामने ये मुद्दे रख रहा हूँ:

(१) कि पूर्वी मार्गके धरनेसे अधिकारी लोगोंको सनातनी हिन्दुओंको शान्त करनेमें कठिनाई महसूस होती है।

(२) कि अधिकारी लोग हिन्दुओंके विशाल बहुमतको अपने साथ लिये बिना कोई भी कदम नहीं उठा सकते और न वे उठायेंगे ही।

(३) कि यदि आप स्वयंसेवकोंको पीछे हटा लें तो प्रगति सुगम हो जायेगी और मैं कहूँगा कि आप कृपया इस बातपर गौर करें कि क्या आपके विचारसे स्थानीय रूर Ruhr पर कब्जा बनाये रखना आप अभी भी जरूरी समझते हैं? क्या आप स्थायी धरनेको वापस लेकर मन्दिरके पूर्वमें सभी प्रदर्शनोंको बन्द नहीं करा सकते?

देवस्वोम कमिश्नर, श्री आर॰ कृष्ण पिल्ले मन्दिरोंवाले अन्य स्थानोंके सनातनी हिन्दुओंके साथ बातचीत कर रहे हैं। उनको विश्वास है कि यदि वातावरण शान्त