पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/५२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४९४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हम अपने पूर्व-निर्धारित मार्गपर आगे बढ़ते रहें और देशको इस दायित्वहीन एवं अहम्मन्य शासनकी चुनौतीका कारगर जवाब देनेके लिए तैयार करें, फरीदपुरके उस महत्त्वपूर्ण भाषणके शब्दोंका प्रयोग करें तो हम कह सकते हैं कि "हम संघर्ष करेंगे, लेकिन औचित्यपूर्ण साधनोंसे, यह ध्यान रखते हुए कि जब समझौतेका समय आये, जो निश्चय ही आयेगा, तब हमें दम्भकी भावनासे नहीं, बल्कि शोभनीय विनम्रताके साथ सुलह वार्तामें भाग लेना है, जिससे कि हमारे बारेमें यह कहा जा सके कि संकट कालकी अपेक्षा सफलताके अवसरपर हमारा आचरण अधिक शालीनतापूर्ण रहा।" अब आपने हमें कांग्रेसकी एकजुट शक्तिका सहारा देकर इस योग्य बना दिया है कि हम देशबन्धुका सन्देश पूरा कर दिखायें। अब ऐसी शुभ परिस्थितियोंमें हमें परिणामके बारेमें कोई भी शंका नहीं रह गई है, क्योंकि परिणाम तो वही हो सकता है जो सभी युगोंमें, सभी देशोंमें निरपवाद रूपसे देखनेको मिला है——अर्थात् अन्ततः शक्तिपर सत्यकी विजय।

आपने स्वराज्यवादी दलको समझौतेके दायित्वसे बड़ी उदारताके साथ बरी कर दिया है। मैं उस समझौतेके बारेमें दो शब्द कहना चाहता हूँ। आप जानते ही हैं कि मैं और देशबन्धु दोनोंने ही वर्ष भरके दौरान समझौते की शर्तोंमें किसी भी फेर-बदलकी बात नहीं सोची थी। हम चाहते थे कि उसपर पूरे तौरपर अमल करके देखा जाये। व्यक्तिगत रूपसे हम उसकी सफलतामें हर तरहसे योग देना चाहते थे। हम दोनों ही व्यस्तता और बीमारीके कारण इस दिशामें उतना-कुछ नहीं कर पाये जितना कि हम चाहते थे, परन्तु मैं आपकी इस बातसे सोलहों-आने सहमत हूँ कि हालकी घटनाओंके फलस्वरूप एक बिल्कुल ही नई परिस्थिति पैदा हो गई है और इस परिस्थितिमें कांग्रेसको तत्काल प्रमुख रूपसे एक राजनीतिक संगठन बनकर अपने आपको इस स्थितिके अनुरूप ढाल लेना चाहिए। इसलिए मैं आपके प्रस्तावका स्वागत करता हूँ। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं होता कि कांग्रेसको किसी भी मामलेमें अपना रचनात्मक कार्यक्रम त्याग देना चाहिए। हमारे सारे प्रयत्न विफल हो जायेंगे, यदि उनको समूचे राष्ट्रकी संगठित शक्तिका बल न मिला।

अब हम पूर्ण आत्मविश्वासके साथ विधान परिषदोंमें और उनके बाहर देशमें अपना काम कर सकेंगे और यदि देशमें कभी संगठित कार्रवाईकी जरूरत पड़ी तो कहनेकी जरूरत नहीं कि स्वराज्यवादी दल उसमें पूरे मनसे सहायता देगा।

हृदयसे आपका,
(ह॰) मोतीलाल नेहरू

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २३-७-१९२५