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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(१ मईसे ३१ जुलाई, १९२५ तक)

१. मई : गांधीजी सुबह कलकत्ता पहुँचे।

'अमृतबाजार पत्रिकामें' प्रकाशित सन्देशमें जनतासे खद्दर खरीदनेका अनुरोध किया।
'स्टेट्समैन' के प्रतिनिधिके साथ हुई भेंटमें निकट भविष्यमें हिन्दुओं और मुसलमानोंमें एकता स्थापित हो जानेकी आशा व्यक्त की।
एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे भेंट की।
मिर्जापुर पार्कमें आयोजित सार्वजनिक सभामें दिये गये भाषणमें जनतासे हिन्दी सीखनेका अनुरोध किया और कहा कि यदि जनता रचनात्मक कार्यक्रमको सफल बनानेमें सहायता करे तो "हमारी बेड़ियाँ स्वयंमेव टूटकर गिर जायेंगी।"

२. मई : फरीदपुरमें औद्योगिक प्रदर्शनीका उद्घाटन किया।

अखिल बंगाल हिन्दू सम्मेलनमें दिये गये भाषणमें अस्पृश्यताको दूर करनेकी अपील की तथा शिक्षित लोगोंसे चरखा और खद्दर अपनानेको कहा। बंगाल प्रान्तीय युवक सम्मेलनमें भाषण करते हुए तरुणोंको ब्रह्मचर्यका पालन करने तथा शुद्ध जीवन बितानेकी सलाह दी।

३. मई : मुसलमानोंकी सभा में भाषण दिया।

छात्रों द्वारा मानपत्र भेंट करनेपर उनसे सूत कातनेका अनुरोध किया; अस्पृश्योंके साथ हुई बातचीतमें उन्हें राष्ट्रीय कार्योंमें लग जानेकी सलाह दी। फरीदपुर नगर निगमने अभिनन्दन-पत्र भेंट किया।
चित्तरंजन दासकी अध्यक्षतामें हुई बंगाल प्रान्तीय परिषद्में गांधीजीने कहा कि स्वराज्य-प्राप्ति केवल अहिंसा और कताई द्वारा ही सम्भव है।

४. मई : बंगाल प्रान्तीय परिषद् की बैठकमें भाग लिया।

५. मई : प्रवर्तक आश्रम, चन्द्रनगरमें भाषण दिया।

६ मई : सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जीसे उनके निवास स्थानपर मिले।

अष्टांग आयुर्वेद विद्यालय अस्पतालका शिलान्यास किया।

७ मई : कवि-गुरुके जन्म-दिवसपर उन्हें शुभकामनाएँ दीं।

बौद्ध विहार, कलकत्तामें आयोजित बुद्ध जयन्ती समारोहकी अध्यक्षता की। पूर्वी बंगालकी यात्रा आरम्भ की।

८. मई : लोहागंज (ढाका) में भाषण दिया और वहाँ उन्हें ५,५०० रु॰ की थैली भेंट की गई।

मलिकन्दाकी सार्वजनिक सभामें भाषण दिया।