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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
विद्यार्थियोंके समक्ष भाषण दिया।
स्थानीय जमींदारोंसे दी गई भेंटमें चरखेके आर्थिक और राजनैतिक महत्त्वपर जोर दिया।

२२ मई : बोगूड़ामें कार्यकर्त्ताओंके स्कूलमें भाषण दिया।

सार्वजनिक सभामें भाषण दिया।
तलोड़ामें डॉ॰ प्रफुल्लचन्द्र राय द्वारा संचालित खादी केन्द्रका निरीक्षण किया।

२५ मई : 'फॉरवर्ड' को दिये सन्देशमें चरखा कार्यक्रमको आगे बढ़ानेकी आवश्यकतापर जोर दिया।

२८ मई : कलकत्ता लौटकर एक सभामें युवकोंसे गाँवोंमें जाने तथा जनताके साथ मिलकर काम करनेका अनुरोध किया।

२९ मई : बोलपुर पहुँचकर शान्तिनिकेतनके लिए रवाना हुए।

३० मई : रवीन्द्रनाथ ठाकुरसे मिले और उन्हें चरखा तथा खद्दरका कार्यक्रम विस्तारपूर्वक समझाया।

३१ मई : शान्तिनिकेतनके विद्यार्थियोंके समक्ष भाषण करते हुए उनसे आधा घंटा चरखा कातनेके लिए कहा।

डॉ॰ मोरेनोके साथ आंग्ल-भारतीय प्रश्नपर सविस्तार बात की।

३ जून : दार्जिलिंग पहुँचे; चित्तरंजन दासके साथ रहे।

६ जून : ईसाई धर्म प्रचारिकाओंके समक्ष भाषण देते हुए अपने आन्दोलनका उद्देश्य आत्मशुद्धि बताया तथा लोगोंकी सेवा करनेपर जोर दिया।

१० जून : जलपाईगुड़ीमें व्यापारियों और व्यवसायियोंसे अनुरोध किया कि वे अपने धनको और सूझबूझको भारतके कल्याणके लिए इस्तेमाल करें।

११ जून : नवाबगंज में विद्यार्थियोंके समक्ष भाषण दिया।

१२ जून : नवाबगंज जिलेमें उपशीके बिझारी स्कूलमें गये।

भोजेश्वरकी सभामें भाषण दिया।

१३ जून : मदारीपुरकी सार्वजनिक सभामें भाषण दिया और सार्वजनिक पुस्तकालयका निरीक्षण किया।

१४ जून : बारीसालकी सार्वजनिक सभामें भाषण दिया।

ऑक्सफोर्ड मिशनका बुनाई विभाग देखने गये और कहा कि कताई ही एकमात्र पूरक धन्धा बन सकता है, बुनाई नहीं।

१६ जून : दार्जिलिंगमें चित्तरंजन दासका देहावसान।

१७ जून : खुलनामें गांधीजीको चि॰ र॰ दासके स्वर्गवासका समाचार मिला; देशभाइयोंसे अपील की : "उन्होंने (चि॰ र॰ दासने) काम जहाँ छोड़ा है, वहींसे उसे हमें उठा लेना चाहिए।"

सार्वजनिक सभामें चि॰ र॰ दासको श्रद्धांजलि अर्पित की।