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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

१८ जून : कलकत्तामें चित्तरंजन दासकी शवयात्रामें शरीक हुए।

२२ जून : देशबन्धु-स्मारक कोषके लिए अपील जारी की।

२३ जून : म्युनिसिपल मार्केट, कलकत्ताकी सभामें शामिल हुए।

२४ जूनसे पूर्व : 'स्टेट्समैन' और सर्चलाइट' के प्रतिनिधियोंसे भेंट दी।

२४ जून : 'इंग्लिशमैन'के प्रतिनिधिको दी गई भेंटमें स्वराज्यवादी दलमें कोई फूट होनेका खण्डन किया तथा कलकत्तामें एक महीना और ठहरनेकी इच्छा व्यक्त की।

२६. जून : चित्तरंजन दासकी मृत्युपर गुजरातियों द्वारा आयोजित एक शोकसभाकी अध्यक्षता की।

२८ जून : 'नवजीवन' में पहली जुलाई (देशबन्धुका श्राद्ध-दिवस) को देशभरमें शोक-सभाएँ आयोजित करने तथा चरखा चलानेकी प्रतिज्ञा लेनेके लिए अपील की।

३० जून : यूनिवर्सिटी इन्स्टीट्यूट, कलकत्तामें शोक-सभाकी अध्यक्षता की।

प्रोफेसर सुशील कुमार रुद्रका देहान्त।

१ जुलाई : चित्तरंजन दासके श्राद्धमें भाग लिया।

सार्वजनिक सभामें भाषण दिया; स्त्रियोंकी सभामें देशबन्धु-स्मारक कोषके लिए चूड़ियाँ और धन प्राप्त हुआ।

२ जुलाई : खिदरपुर, कलकत्तामें बकरीदके मौकेपर हिन्दू-मुस्लिम दंगा भड़क उठा। गांधीजी अबुल कलाम आजादके साथ दंगाई क्षेत्रोंमें गये और दोनों सम्प्रदायोंके लोगोंको शान्त किया।

एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाको दिये गये वक्तव्यमें हिन्दुओंको दोषी ठहराया।

४ जुलाई : खड़गपुरमें इंडियन इन्स्टीट्यूटका निरीक्षण किया; बादमें इंडियन रिक्रिएशन ग्राउंडमें आयोजित विशाल सभामें भाषण देते हुए हिन्दू-मुस्लिम एकता की आवश्यकतापर जोर दिया।

५ जुलाई : 'नवजीवन'में "दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास" का धारावाहिक प्रकाशन, जो उपवास तथा अन्य कारणोंसे रुक गया था, फिरसे आरम्भ किया।

७ जुलाई : मिदनापुरमें छात्रोंकी सभा, महिलाओंकी सभा तथा सार्वजनिक सभाओंमें भाषण दिये।

९ जुलाई : स्वराज्यवादी पार्षदोंकी सभामें उनसे जे॰ एम॰ सेनगुप्तको मेयर चुननेका आग्रह किया।

१२ जुलाई : राजशाहीका सार्वजनिक पुस्तकालय देखने गये; सार्वजनिक सभामें भाषण दिया।

१६ जुलाई : स्वराज्यवादी दलकी महापरिषद्को बैठकमें भाषण दिया। इसमें मोतीलाल नेहरू भी उपस्थित थे।